उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष व महामंत्री क्रमशः श्री आलोक तिवारी जी व डा. योगेश्वर शुक्ल तथा सहायक आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल का समृद्धमंच को सादर प्रणाम, आज की रचना।। संघर्ष ।। पर आधारित है, देखें ,सुझाव आमन्त्रित है….
. उत्तिम खेती रही कबौ हिन्द,केमिकल फसिलु उगाई गयी।। उपजाऊ रही अवनी ई कबौ,उरवरकनु ते पथराई गयी।। खेती वैज्ञानिक यन्त्र नये,रोटावेटर केचुअनु मारी गयी।। हितैषी किसानु उजारि उजारि,धरनी बंजरनु बनाई गयी।। फारमूला बनाई के जैविक कै,किसाननु का समझाई गयी।। ललचातु किसान निहारि निहारि,मँहगाईनु जेब उघारी गयी।। मजबूर किसानु रूपैइय्या नहीं, जैविक मँहगाई पै भारी अँटी।। सरकारी मिली सम्मान निधी,जेहि नून औ तेल अँटाई गयी।। प्रकृति विरूद्व रहै हरदम,कबौ बाढ़ औ सूखा मा सारी गयी।। किसानी गयी जो निराशा मिली,व्यापारू कै रीति बुझाई गयी।। उत्तिमु बान जौ खेती रही,परिवर्तनु औंधी गिराई गयी।। सहयोगु मिला सरकारनु कै,व्यापारू धरा भरमाई गयी।। व्यापारू बढा़ जगहा जगहा,खेती अधम गति ढाई गयी।। नौकरी आजु शिखर गढ़ पै,व्यापारू धरा अपनाई गयी।। कम्पटीशनु मा जौ यहौ अँटि गै,नोकरी लोखरी भाव अँटी।। मिली जौ नही यहि लरिकनु का,व्यापारू गली लहराय पटी।। मुल लायक जे उभयानु नहीं,तेहि खेती मँहय भरमाई गयी।। निहारतु चंचल याही गती,अबु कौनु गती अपनाई गयी।।
ओमनगर, सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश।।