श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। यह कल्पवृक्ष के समान है। आवश्यक है कि मनुष्य इसे निर्मल भाव से सुने और सत्य धर्म के मार्ग का पालन करें,श्रीमद्भाग्वतम् सर्व वेदान्त का सार है। उस रसामृत के पान से जो तृप्त हो गया है।
उसे किसी अन्य जगह पर कोई रति नहीं हो सकती।कथावाचक मांगन बाबा ने कहा कि श्रीमद्भागवत भक्तिरस तथा अध्यात्मज्ञान का समन्वय उपस्थित करता है।जिसके श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।