रौशन सनगही, भागलपुर – मानस सत्संग सद्भावना समिति अमरपुर द्वारा आयोजित रामकथा ज्ञान यज्ञ में आज तीसरे दिन का प्रारंभ प्रातः सत्र में सामूहिक सुंदरकांड पाठ से नारद बाबा ने पूरा किए। जिसके साथ एक सौ बच्चे बच्चियों भाग लिए । दूसरा सत्र दोपहर 2:00 से आस्था कुमारी के प्रवचन के साथ शुरु हुआ। आज अपने प्रवचन में हनुमान के चरित्र पर उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए दो चीजें जरूरी है। पहला अपने अभिमान को छोड़ हनु को अपना लेना तथा दूसरा अपना चरित्र संभाल कर रखना। आपको विजय प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकता । आपके मंजिल तक पहुंचने में कोई बाधा नहीं होगी ।

पवन व्यास ने कथा में भाग लेते हुए अपने प्रवचन में काम क्रोध मद लोभ लोक नाथ नरक के पंथ सब परीहरी रघुवीर ही भजहु भजही जेही संत । भगवान के शरण में जाने वाले को भय नहीं होता सारा डर समाप्त हो जाता है। स्वामी नारद बाबा ने आज की कथा एक सुंदर भजन से प्रारंभ किए। बही जा रही गंगा लहर धीरे-धीरे, केवट प्रसंग को बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि ,अति आनंद लग रही। अनुराग चरण सरोज पखारन लागे । केवट ने जब श्रीराम के चरण धोए तब वह जल गंगाजल हो गया। महा पवित्र पूजन योग्य बन गया शबरी प्रसंग में आ गए बढ़ाते हुए कहा कि अदम अदम थे अदम अति नारी ।

तीसरे मतिमंद आधारी भगवान राम ने शबरी को आनंद भक्ति का ज्ञान दिए। राम ने शबरी से कहा कि एक भक्ति रूपी सीढ़ी तुम चढ़कर ऊपर उठो 8 भगत भक्ति की सीढ़ी से मैं नीचे उतर कर तुम्हें दे दूंगा। मानस मंजरी लक्ष्मी देवी ने आनंद के साथ भजन गाकर सभी श्रोताओं को मीठी आवाज से गदगद करते हुए प्रवचन में गंगा जी की महिमा पर बोलती हुई कहीं की गंगा उस सभी के पाप को धोकर साफ कर देती है। हम जितने भी गंदगी डालते हैं गंगा नदी में फिर गंगाजल पवित्र की पवित्र ही रह जाती है । गंगा भारत की संस्कृति की जननी है । इसी के तट पर सारे संत कवि ने महानता रचना रची। राम विनोद व्यास जी ने आज अपने प्रवचन में श्री लक्ष्मण जी के द्वारा उठाए गए जीव ब्रह्म माया के व्याकरण करते हुए उन्होंने कहा कि इसका उत्तर श्री राम के द्वारा जगत कल्याण के लिए कहलाए हैं।