गरीब मजबूर लोगों के साथ आखिर कब तक चिकित्सा विभाग और सरकार करती रहेगी, कोरोना के नाम पर मजाक

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बिहार स्टेट हेड – श्रवण आकाश की रिर्पोट खगड़िया जिला के परबत्ता प्रखंड अंतर्गत लगार पंचायत के चरघड़िया लगार वार्ड नंबर 9 में एक महिला की कोरोना पॉजिटिव होने के खबर को लेकर अचानक बीते मंगलवार को इंकलाब इंडिया के बिहार स्टेट हेड श्रवण आकाश ने पीएचसी प्रभारी डॉ पटवर्धन झा से बात चीत किया, जिसमें अस्पताल के प्रभारी डाॅक्टर पटवर्धन झा ने बताया कि उक्त महिला जो कि पिछले पांच दिनों पुर्व जांच के दौरान कोरोना पाजिटिव आई थी,

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लेकिन उसके चेहरे और जांच में कोई कोरोना लक्षण नहीं थी। जो कि अभी भी पुरी स्वस्थ हैं, वहीं सीओ अंशु प्रसुन ने बताया कि मुझे जहाँ तक आदेश मिला था मैं वहाँ तक अपना काम किया। शेष यदि ऊपर से और भी कोई आदेश मिलेगी तो मैं जरूर पब्लिक की सेवा सहायता करुंगा।

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इधर कोरोना बैरिकेटिंग के अंदर या कोरोना कंटेंटमेंट जौन के अंदर जिसे कि चिकित्सा विभाग ने अपने रिपोर्ट में पाॅजीटिव बताया उनका कहना हुआ कि मुझे और मेरे परिवार को फालतू के तकलीफ में डाल दिया है। जब मैं स्वस्थ हीं हुं साहब तो मेरे साथ ये नाटक किसलिए ? इतने इतने दिनों तक घर में बैठे मैं खाऊंगा क्या❓ मैं गरीब मजदूर हुं जो कि रोज मजदूरी कर अपने घरों में दो वक्त की रोटी खाता हूँ. साथ ही साथ मेरे घर में दुकान से कोई दुकानदार ना समान देते हैं और ना हीं पैसे लेते हैं। आखिर मेरे साथ सरकारी विभाग के चिकित्सक महोदय ऐसा घिनौना काम और बेवजह इस घिनौना काम की सजा क्यों दे रही है ? इतना ही नहीं वहीं मौजूद समाज के भी कई लोगों का कहना हुआ कि इस अपवाह के कारण मेरे बच्चों को सरकारी और निजी दोनों स्कूलों के मास्टर प्रवेश नहीं होने देते, इतना ही नहीं यात्रा के लिए कोई भी गाड़ी वाहक सवारी करने नहीं देते हैं।

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मैं देशवासियों को को और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी सभी चिकित्सकों से जानना चाहता हूँ कि जब कोरोना लक्षण हीं नहीं तो पाॅजीटिव कैसे ? यदि पाॅजीटिव तो पंद्रह दिनों तक चिकित्सा सुविधा क्यों नहीं ? जब पाॅजीटिव तो प्रशासन कंटेंटमेंट जौन पर मुस्तैद क्यों नहीं ? जब पाॅजीटिव तो पंद्रह दिनों तक राशन सुविधा क्यों नहीं ? इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग के वरीय चिकित्सकों के अनुसार जब कोरोना लक्षण हीं नहीं, तो ये अफवाह क्यों नहीं ? आखिर इसके जिम्मेदार कौन है ? आखिर पब्लिक और गरीब जनता के साथ इस तरह की मजाक या मजबूरी के साथ कब तक चिकित्सा विभाग छेड़छाड़ और मजाक करती रहेगी ? इतना ही नहीं इस मजबूर गरीब के साथ इस प्रकार की मजाक जहाँ हार्ड अटैक हो सकती थी और भुखमरी से आत्महत्या भी साथ ही साथ शर्म लज्जा के कारण अपने साथ अपने बच्चों के साथ कुछ भी अनहोनी कर लिया जाए तो इसके जिम्मेदार कौन होंगे ?

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