नवगछिया : एक पत्नी की आंखों में आंसू नहीं, अब आग है। दर्द से भरी हुई मगर हौसले से लबरेज रानु देवी ने अपने पति स्वर्गीय विनय कुमार की हत्या मामले में न्याय की गुहार लगाई है। नवगछिया थाना क्षेत्र के हड़िया पट्टी की निवासी रानु देवी अब न्याय की लड़ाई खुद लड़ने को तैयार हैं। उन्होंने पुलिस अधीक्षक को दिए आवेदन में न सिर्फ निष्पक्ष जांच की मांग की है, बल्कि न्यायालय में न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष अपना विस्तृत बयान दर्ज कराने की अनुमति भी मांगी है, ताकि सच को कानूनी तौर पर सुरक्षित किया जा सके।
“मैं डरी नहीं, दबूंगी नहीं – मेरे बच्चों का भविष्य अधर में है”
रानु देवी का कहना है कि उनके पति की निर्मम हत्या नवगछिया थाना कांड संख्या 145/25 के तहत हुई थी। घटना के वक्त वे गहरे मानसिक आघात में थीं, जिससे कई जरूरी बातें वे प्राथमिकी दर्ज कराते समय नहीं बता सकीं। अब जब मानसिक रूप से वे कुछ संभली हैं, तो उन्हें डराने का नया दौर शुरू हो गया है।
उनका आरोप साफ है — “मेरे जेठ और उनके पुत्रों की भूमिका इस हत्या में प्रमुख रही है। पहले भी वे मेरे पति को जान से मारने की धमकी देते थे, और अब मुझे डराने के लिए वही हथकंडे दोहराए जा रहे हैं।”
न्यायिक दखल की मांग, जान की सुरक्षा की भी अपील
रानु देवी ने पुलिस अधीक्षक से स्पष्ट रूप से अनुरोध किया है कि उन्हें न्यायिक दंडाधिकारी के सामने प्रस्तुत कर न्यायालय में बयान देने का अवसर दिया जाए, ताकि मामला किसी राजनीतिक या पारिवारिक दबाव की भेंट न चढ़े। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनका बयान सुरक्षित नहीं रहा, तो पूरा मामला भटका दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि जब वे आजीविका के लिए अपने ससुर के साथ दुकान जाती हैं, तो रास्ते में उन्हें फिर से धमकियाँ दी जाती हैं। मोहल्ले में भी चर्चा है कि उनके बयान से आरोपी कानूनी शिकंजे में आ सकते हैं, इसी डर से उन्हें चुप कराने की कोशिश हो रही है।
“मेरे बच्चों की आंखों में डर है, लेकिन मैं उनके लिए ही खड़ी हूं”
रानु देवी ने अपने आवेदन में लिखा है, “मैं और मेरे छोटे-छोटे बच्चे हर दिन भय के साये में जी रहे हैं। ये सिर्फ हत्या नहीं थी, मेरे जीवन की नींव हिला दी गई है। अब अगर मैं चुप रही, तो मेरे बच्चों को भी डर के साथ जीना पड़ेगा। इसलिए मैं न्याय की लड़ाई लड़ रही हूं।”
उन्होंने जिला प्रशासन से न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा बल्कि दुकान पर भी पुलिस बल की तैनाती की मांग की है, ताकि वह और उनके बच्चे सुरक्षित रह सकें।
सवाल उठते हैं – क्या रानु देवी को मिलेगा इंसाफ?
यह मामला अब सिर्फ हत्या का नहीं, बल्कि एक महिला की हिम्मत और सिस्टम की संवेदनशीलता की परीक्षा है। क्या पुलिस और न्यायपालिका इस साहसी महिला की आवाज़ को सुनेगी? क्या आरोपी कानून के शिकंजे में आएंगे या फिर एक और सच्चाई दबा दी जाएगी?
नवगछिया की रानु देवी अब सिर्फ पीड़िता नहीं, न्याय की प्रतीक बन रही हैं।