बिहपुर में शुरू हुआ उर्स-ए-पाक, सूफी रंग में रंगा खानकाह शरीफ

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बिहपुर में शुरू हुआ उर्स-ए-पाक, सूफी रंग में रंगा खानकाह शरीफ – चादरपोशी से लेकर मुये मुबारक की ज़ियारत तक उमड़ा अकीदतमंदों का सैलाब

बिहपुर: -बिहपुर प्रखंड स्थित खानकाह ए आलिया कादिरिया फरीदिया मोहब्बतिया शरीफ में सूफी संतों की याद में आयोजित सालाना दो दिवसीय उर्स-ए-पाक की शुरुआत सोमवार को परचम कुशाई और चादरपोशी के साथ हुई। अकीदत और मोहब्बत के इस जश्न में दूर-दराज़ से पहुंचे मूरीदीन और जायरीन की भीड़ उमड़ पड़ी। पूरा खानकाह परिसर इबादत, नूर और रूहानी फिज़ा में सराबोर नजर आया।

सूफियाना अंदाज़ में चादरपोशी
उर्स की रस्मी शुरुआत खानकाह के सज्जादानशीन हजरत अली कौनैन खॉ फरीदी और नायब सज्जादानशीन हजरत मौलाना अली शब्बर खॉ फरीदी के करकमलों से मजार शरीफ पर चादरपोशी से हुई। इसके बाद आम अकीदतमंदों ने भी देर रात तक चादरपोशी कर अपनी अकीदत पेश की। मजार शरीफ पर हर तरफ गुलाब, इत्र और दुआओं की खुशबू फैली रही।

कव्वाली और जलसे ने बांधा सूफियाना समा
उर्स के मौके पर रातभर सूफियाना कव्वाली और जलसे का आयोजन किया गया जिसमें सूफी कलामों ने हर दिल को छू लिया। “बहर-ए-मोहब्बत” में डूबे जायरीन देर रात तक खानकाह परिसर में जमे रहे।

मुये मुबारक की ज़ियारत आज सुबह
उर्स के दूसरे दिन मंगलवार को सुबह 7 बजे से 9 बजे तक खानकाह परिसर में पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पवित्र मुये मुबारक (बाल-ए-मुबारक) की ज़ियारत कराई जाएगी। इस ऐतिहासिक मौके के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

बिहार के कोने-कोने से पहुंचे जायरीन
इस सालाना उर्स में बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा सीमावर्ती इलाकों से भी भारी संख्या में जायरीन पहुंचे। खानकाह परिसर में कर्रार खॉ, मौलाना अबूसालेह फरीदी, रहबर खॉ, रहनुमा खॉ, गुलाम पंजतन फरीदी, जफर खॉ, हस्सान खॉ, बुशमस आज़म, रोहमा खॉ सहित कई नामचीन शख्सियतों की मौजूदगी रही।

अकीदत और अमन का पैगाम
उर्स-ए-पाक सिर्फ एक मजहबी आयोजन नहीं, बल्कि यह इंसानियत, मोहब्बत और सूफियाना रवायतों का ज़िंदा पैगाम है। खानकाह शरीफ का यह सालाना मेला क्षेत्र में भाईचारे और रूहानी इतमीनान की मिसाल पेश करता है।

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