सुपर 30 से सियासी 360 की ओर

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आनंद कुमार के भाई प्रणव कुमार की नई पारी, अब थाली में है ‘लालटेन’ की रौशनी

पटना की राजनीति में एक नई हलचल तेज़ हो गई है। शिक्षा जगत में ‘सुपर 30’ के नाम से मशहूर आनंद कुमार के छोटे भाई प्रणव कुमार अब एक नई पाठशाला में दाखिल हो चुके हैं—राजनीति की पाठशाला! और यह दाखिला हुआ है सीधे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में।

राजनीति के गलियारों में अब चर्चा जोरों पर है कि प्रणव कुमार जल्द ही चुनावी मैदान में भी दिख सकते हैं। सूत्रों की मानें तो राजद उन्हें किसी शहरी सीट से उम्मीदवार बना सकती है, ताकि शिक्षित और युवा वर्ग को अपने पक्ष में खींचा जा सके।

कौन हैं प्रणव कुमार ?

प्रणव कुमार वही हैं जो सुपर 30 के शुरुआती दिनों से पर्दे के पीछे अहम भूमिका निभाते आए हैं। जहां आनंद कुमार स्पॉटलाइट में रहे, प्रणव ने संगठन और संचालन की जिम्मेदारी निभाई। अब वह पर्दे से बाहर निकलकर मंच पर आ चुके हैं— राजनीतिक मंच पर।

क्यों खास है यह शामिल होना?

राजद ने हाल के वर्षों में जिस तरह युवाओं, शिक्षकों और बुद्धिजीवियों को साधने की कोशिश की है, प्रणव कुमार की एंट्री उस कड़ी का अगला बड़ा कदम मानी जा रही है।
“शिक्षा से राजनीति तक का सफर, अब लालटेन की रोशनी में”—ऐसे नारों से सोशल मीडिया भी गरमा रहा है।

चुनावी मैदान की अटकलें

राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक, 2025 के विधानसभा चुनाव में प्रणव कुमार को पटना जिले की किसी सुरक्षित शहरी सीट से उतारा जा सकता है। उनके नाम पर विचार इस सोच के साथ हो रहा है कि शिक्षा के नाम पर उन्होंने जो सामाजिक पूंजी बनाई है, उसे वोट में बदला जा सके।

क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार ?

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह एक “सोच-समझ कर खेला गया दांव” है। राजद अपने पारंपरिक वोट बैंक के साथ-साथ अब उस वर्ग को भी जोड़ना चाहता है जो शिक्षा, रोजगार और ईमानदारी की राजनीति की बात करता है।

अब देखना ये है कि “गणित के गुरू” आनंद कुमार के भाई “राजनीति के छात्र” बनकर क्या चमत्कार दिखाते हैं!
क्या लालटेन की रोशनी में शिक्षा और बदलाव की एक नई इबारत लिखी जाएगी या यह सिर्फ एक ‘पॉलिटिकल एक्सपेरिमेंट’ बनकर रह जाएगा?

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