कहलगांव में भक्ति, ऊर्जा और आस्था का विस्फोट — 71 फीट की महाकांवड़ लेकर निकले 100 युवा, 4 हजार कांवरियों का उमड़ा सैलाब

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भागलपुर –  सावन की भक्ति में डूबा कहलगांव इन दिनों शिवभक्ति की महागंगा में सराबोर है। पड़ाव संघ की ऐतिहासिक कांवड़ यात्रा इस बार अपने 113वें वर्ष में प्रवेश करते हुए भव्यता के नए कीर्तिमान रच रही है। जहां एक ओर शिवभक्ति का उफान है, वहीं दूसरी ओर युवाओं की आस्था और अनुशासन ने इस आयोजन को अद्भुत बना दिया है।

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71 फीट की महाकांवड़ बनी आकर्षण का केंद्र

इस बार यात्रा की सबसे बड़ी झलक 71 फीट ऊंची महाकांवड़ है, जिसे 100 समर्पित युवाओं की टीम अपने कंधों पर लेकर पैदल बाबा बैद्यनाथ धाम की ओर बढ़ रही है। इसके अलावा 51 फीट की दूसरी विशाल कांवड़ को 80 युवकों की टोली संभाल रही है। इन महाकांवड़ों की भव्यता लोगों के लिए किसी दृश्य चमत्कार से कम नहीं है।

परंपरा से आधुनिकता तक का सफर

जहां यात्रा की शुरुआत सालों पहले 31 फीट की कांवड़ से हुई थी, आज हर साल 10 फीट की वृद्धि ने इसे एक भव्य सांस्कृतिक उत्सव में बदल दिया है। श्रद्धा की यह लंबी यात्रा न सिर्फ परंपरा का सम्मान है, बल्कि युवाओं की भागीदारी और समर्पण का जीवंत उदाहरण भी।

भक्ति के रंग में रंगा कहलगांव

“बम-बम भोले” के जयघोष, मनमोहक झांकियां और भक्तिमय गीतों ने कहलगांव से सन्हौला होते हुए देवघर की ओर जाती इस यात्रा को चलते-फिरते मेले का रूप दे दिया है। चार हजार से अधिक कांवरिए इसमें भाग ले रहे हैं, जो शिवभक्ति की डोर में बंधकर एक साथ आगे बढ़ रहे हैं।

संघ की संगठित तैयारी और जनभागीदारी

पूर्व अध्यक्ष संतोष कुमार ने बताया, “यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि नदिया टोला और चौधरी टोला जैसे मोहल्लों की एकता और साझे प्रयास का प्रतीक बन चुकी है।”

वहीं, संघ के सचिव गौतम कुमार चौधरी ने कहा, “पड़ाव संघ का नाम ही कांवरियों के लिए ऊर्जा बन चुका है। इस बार यात्रा की तैयारी महीनों पहले शुरू कर दी गई थी। जगह-जगह रुकने, भोजन और मेडिकल शिविर की व्यवस्था की गई है।”

युवा शक्ति और सामाजिक समरसता की मिसाल

यह कांवड़ यात्रा महज गंगाजल उठाकर जलाभिषेक करने की परंपरा नहीं है, बल्कि यह युवा शक्ति, अनुशासन, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विरासत का संगम है। 71 फीट की महाकांवड़ न सिर्फ ऊंचाई में बड़ी है, बल्कि यह आस्था, भक्ति और संगठन की ऊंचाइयों को भी दर्शाती है।

सोमवार को बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक होगा, और इसी के साथ पूर्ण होगी कहलगांव की भक्ति यात्रा — एक ऐसा आयोजन, जो हर साल शिवभक्ति की ऊंचाई को नई उड़ान देता है।

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