जनता के मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में, युवाओं व महिलाओं में बढ़ रहा समर्थन
श्रवण आकाश, खगड़िया. विधानसभा चुनाव का माहौल जैसे-जैसे गरमाता जा रहा है, वैसे-वैसे नए और युवा चेहरे भी राजनीति में उतरकर जनता की उम्मीदों को नई दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं। इसी क्रम में साहनी परिवार की बेटी नवीता कुमारी ने इस बार परबत्ता विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर क्षेत्र की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। नवीता कुमारी का कहना है कि उनका राजनीति में उतरने का मकसद केवल सत्ता प्राप्त करना नहीं है, बल्कि जनता की आवाज़ बनना है। वे मानती हैं कि परबत्ता विधानसभा क्षेत्र वर्षों से उपेक्षा का शिकार रहा है। आज भी यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं — सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार — से जूझ रहे हैं। यही कारण है कि उन्होंने किसी बड़े राजनीतिक दल का टिकट न लेकर स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरने का निर्णय लिया।
चुनावी प्रचार के दौरान नवीता कुमारी को स्थानीय लोगों का उत्साहजनक समर्थन मिल रहा है। खासकर महिलाओं और युवाओं में उनके प्रति सकारात्मक रुझान देखा जा रहा है। नवीता का कहना है कि साहनी परिवार से होने के कारण उन्होंने बचपन से ही समाज की पीड़ा और आम आदमी के संघर्ष को नजदीक से देखा है। यही अनुभव उन्हें जनता की समस्याओं से लड़ने और समाधान निकालने की प्रेरणा देता है। निर्दलीय प्रत्याशी नवीता कुमारी ने अपने चुनावी एजेंडे को स्पष्ट करते हुए कहा है कि यदि जनता का आशीर्वाद मिला, तो वे शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर प्राथमिकता देंगी। परबत्ता में उच्च शिक्षा संस्थानों की कमी के कारण बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं बाहर पलायन करने को विवश हैं। इसके अलावा वे महिला सशक्तिकरण और युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने पर भी जोर देंगी। नवीता ने कहा कि राजनीति में पारदर्शिता और ईमानदारी ही उनका हथियार होगा। वे बिना किसी जाति-धर्म और दलगत भावना के समाज के हर वर्ग के लिए काम करना चाहती हैं।
नवीता कुमारी का निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय परबत्ता की पारंपरिक राजनीति में एक नई लहर पैदा कर रहा है। अब तक बड़े दलों के उम्मीदवार ही चुनावी मैदान पर हावी रहते थे, लेकिन नवीता जैसी युवा और स्वतंत्र उम्मीदवार का आना जनता को विकल्प देने का काम कर रहा है। ग्रामीण इलाकों में किए गए जनसंपर्क के दौरान लोगों ने कहा कि वे बदलाव चाहते हैं और यदि नवीता कुमारी जैसी ईमानदार प्रत्याशी को मौका मिला, तो क्षेत्र का विकास संभव है। अंततः साहनी परिवार की बेटी नवीता कुमारी ने यह साबित कर दिया है कि राजनीति केवल विरासत या दल के सहारे ही नहीं, बल्कि जनता के भरोसे और अपने संघर्ष के दम पर भी लड़ी जा सकती है। वे आज परबत्ता की जनता के बीच उम्मीद और बदलाव की प्रतीक बनकर उभर रही हैं।

