राजनीतिक सरगर्मी चरम पर, दादा त्रिवेणी कुंवर रहे हैं परबत्ता के प्रथम विधायक, माता रीना देवी मुखिया रह चुकीं — पारिवारिक विरासत पर दांव लगाएंगे बाबूलाल शौर्य
परबत्ता में फिर उतरे बाबूलाल शौर्य, लोजपा का दांव दोहराया गया, डॉ. संजीव बोले—50 हजार वोट से जीतेंगे, नहीं तो देंगे इस्तीफा
श्रवण आकाश, खगड़िया।खगड़िया जिला अंतर्गत परबत्ता विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। लोजपा (LJPR) ने एक बार फिर बाबूलाल शौर्य पर भरोसा जताया है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने लोजपा प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमाई थी, हालांकि उस समय उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस बार वह नए जोश और रणनीति के साथ मैदान में उतरे हैं।

लोजपा (LJPR) द्वारा टिकट की घोषणा के साथ ही परबत्ता की सियासत में हलचल तेज हो गई है। बाबूलाल शौर्य के पुनः प्रत्याशी बनने से समर्थकों में उत्साह है, वहीं विपक्षी खेमे में समीकरणों की जोड़-घटाना शुरू हो चुकी है।
इस विधानसभा क्षेत्र से राजद प्रत्याशी एवं मौजूदा विधायक डॉ. संजीव कुमार पहले ही मैदान में हैं और उन्होंने दावा किया है कि वे इस बार 50 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज करेंगे। उन्होंने यहां तक कहा है कि यदि 50 हजार से कम मतों से जीतते हैं, तो विधायक पद से इस्तीफा दे देंगे।
दोनों उम्मीदवारों के बीच यह मुकाबला सीधा और रोचक माना जा रहा है। एक ओर राजद की मजबूत पकड़ और मौजूदा विधायक का प्रदर्शन है, तो दूसरी ओर लोजपा प्रत्याशी बाबूलाल शौर्य की पारिवारिक राजनीतिक विरासत भी चर्चा में है।
बाबूलाल शौर्य के दादा त्रिवेणी कुंवर परबत्ता विधानसभा क्षेत्र के प्रथम विधायक रहे हैं, जिन्होंने क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। वहीं उनकी माता रीना देवी सियादतपुर अगुवानी पंचायत की मुखिया रह चुकी हैं। इस पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण बाबूलाल शौर्य को स्थानीय स्तर पर एक सशक्त जनाधार प्राप्त है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार परबत्ता विधानसभा क्षेत्र “हॉट सीट” के रूप में उभर रहा है, जहां राजद बनाम लोजपा (LJPR) की सीधी भिड़ंत देखने को मिलेगी। जनता अब यह देखने को बेताब है कि विरासत बनाम विकास की इस जंग में जीत किसकी होती है।


