परबत्ता से लोजपा (LJPR) प्रत्याशी बाबूलाल शौर्य ने कराया नामांकन, अब डॉ. संजीव से सीधी टक्कर तय

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दादा त्रिवेणी कुंवर रहे प्रथम विधायक, मां मुखिया — राजनीतिक विरासत पर सवार होकर मैदान में उतरे बाबूलाल शौर्य

राजेश वर्मा का वार — तेजस्वी और संजीव पर बरसे, बोले जनता झूठे वादों से अब आज़िज़!

“परबत्ता में बहने लगी बदलाव की बयार” — सांसद राजेश वर्मा बोले, बाबूलाल शौर्य जनता के सच्चे सिपाही

श्रवण आकाश, खगड़िया। खगड़िया जिला अंतर्गत परबत्ता विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी चरम पर है। शुक्रवार को लोजपा (LJPR) प्रत्याशी बाबूलाल शौर्य ने उत्साहपूर्ण माहौल में नियमत: नामांकन दाखिल किया। नामांकन के दौरान भारी जनसमूह उमड़ा रहा। सांसद राजेश वर्मा, लोजपा जिला अध्यक्ष मनीष कुमार उर्फ नाटा भाई समेत हजारों समर्थक उनके साथ मौजूद रहे। नारों और जयघोषों से पूरा अनुमंडल कार्यालय परिसर गूंज उठा। इस बार परबत्ता विधानसभा क्षेत्र का चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प माना जा रहा है। लोजपा (LJPR) ने एक बार फिर अपने पुराने उम्मीदवार बाबूलाल शौर्य पर भरोसा जताया है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी वे इसी पार्टी से मैदान में उतरे थे, हालांकि तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अबकी बार वे नए जोश, नई रणनीति और संगठनात्मक मजबूती के साथ फिर से चुनावी मैदान में हैं। लोजपा द्वारा टिकट की घोषणा के बाद से ही परबत्ता की सियासत में नई हलचल मच गई है। बाबूलाल शौर्य के पुनः प्रत्याशी बनने की खबर से समर्थकों में उत्साह की लहर है। वहीं, विपक्षी खेमे में समीकरणों की जोड़-घटाना तेज हो गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार परबत्ता में राजद बनाम लोजपा (LJPR) की सीधी टक्कर देखने को मिलेगी, जिससे यह सीट राज्य की “हॉट सीट” बन गई है।


बाबूलाल शौर्य की राजनीतिक विरासत भी इस चुनाव में चर्चा का प्रमुख विषय बनी हुई है। उनके दादा त्रिवेणी कुंवर परबत्ता विधानसभा क्षेत्र के प्रथम विधायक रहे हैं, जिन्होंने क्षेत्र के विकास में अपनी अहम भूमिका निभाई थी। वहीं, उनकी माता रीना देवी भी सियादतपुर अगुवानी पंचायत की मुखिया रह चुकी हैं। इस पारिवारिक पृष्ठभूमि और वर्षों की राजनीतिक सक्रियता ने बाबूलाल शौर्य को स्थानीय स्तर पर एक मजबूत जनाधार प्रदान किया है।

नामांकन के बाद मीडिया से बातचीत में बाबूलाल शौर्य ने कहा कि वे जनता की सेवा और विकास के मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और युवा नेता चिराग पासवान की कार्यशैली और नेतृत्व की खुले तौर पर प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “राज्य और देश में आज विकास का नया दौर शुरू हुआ है, और हम चाहते हैं कि परबत्ता भी उसी दिशा में आगे बढ़े।”
वहीं, उन्होंने वर्तमान विधायक डॉ. संजीव कुमार (राजद) पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में पिछले पांच वर्षों में ठोस विकास कार्य नहीं हुए हैं और जनता परिवर्तन के मूड में है। शौर्य ने दावा किया कि इस बार परबत्ता की जनता “विकास” और “रोजगार” के मुद्दों पर वोट करेगी, न कि जाति या परिवारवाद के आधार पर।

वही मौजूद सांसद राजेश वर्मा ने बाबूलाल शौर्य की सराहना करते हुए कहा कि,
“बाबूलाल शौर्य एक ईमानदार, संघर्षशील और जमीनी नेता हैं। उन्होंने हमेशा जनता की समस्याओं को नजदीक से समझा है और समाधान के लिए लगातार प्रयासरत रहे हैं। परबत्ता की जनता आज भी उनके परिवार के योगदान को याद करती है। लोजपा (LJPR) ने सही उम्मीदवार पर भरोसा जताया है। मुझे पूरा विश्वास है कि इस बार परबत्ता से बदलाव की शुरुआत होगी और बाबूलाल शौर्य भारी मतों से जीत दर्ज करेंगे।” इतना ही नहीं उन्होंने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और वर्तमान विधायक डॉ. संजीव कुमार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि “तेजस्वी यादव केवल बयानबाजी की राजनीति करते हैं, जमीन पर उनका कोई काम नहीं दिखता। परबत्ता के विधायक डॉ. संजीव कुमार ने जनता को सिर्फ वादों और आश्वासनों के भरोसे छोड़ दिया। क्षेत्र में न तो विकास हुआ, न रोजगार के अवसर बढ़े। जनता अब झूठे वादों से तंग आ चुकी है। इस बार परबत्ता की जनता जवाब देगी और लोजपा (LJPR) के उम्मीदवार बाबूलाल शौर्य को भारी बहुमत से विजयी बनाएगी।”


लोजपा (LJPR) के नेताओं का कहना है कि पार्टी संगठन इस बार बूथ स्तर तक मजबूत किया गया है। युवा कार्यकर्ताओं और महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से चुनावी माहौल में नई ऊर्जा आई है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि परबत्ता का यह मुकाबला राज्य की सियासत में नई दिशा तय कर सकता है। एक तरफ डॉ. संजीव कुमार अपनी विधायक पद की उपलब्धियों और संगठन के बल पर मैदान में हैं, तो दूसरी ओर बाबूलाल शौर्य अपनी पारिवारिक विरासत, नई रणनीति और जनता से जुड़ाव के दम पर पूरी ताकत झोंक रहे हैं। चुनावी बयार तेज हो चुकी है — और अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि परबत्ता की जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है — अनुभव या नई ऊर्जा? विरासत या परिवर्तन?

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