परबत्ता में 10 दिवसीय राजमिस्त्री प्रशिक्षण शिविर शुरू — भूकंप-रोधी भवन निर्माण का देंगे प्रमाणित ज्ञान, सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट को मिलेगी रफ्तार

IMG 20251117 WA0013

श्रवण आकाश, खगड़िया. खगड़िया जिला अंतर्गत आईटी भवन परबत्ता परिसर में बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (BSDMA) के तत्वावधान में 10 दिवसीय राजमिस्त्री प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ हुआ। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत आयोजित इस विशेष प्रशिक्षण में परबत्ता प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों से कुल 28 राजमिस्त्री चयनित किए गए हैं। कार्यक्रम का उद्देश्य आपदा-प्रवण इलाकों में भूकंप-रोधी भवन निर्माण को बढ़ावा देना और ग्रामीण स्तर पर सुरक्षित निर्माण तकनीक को आमजन तक पहुँचाना है।शिविर के पहले दिन प्रशिक्षुओं को भूकंप सुरक्षा के मूल सिद्धांत, भवन निर्माण में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों की गुणवत्ता जाँच और आधुनिक तकनीकी मानकों के बारे में विस्तार से बताया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भवन निर्माण के दौरान तकनीकी जानकारी के अभाव में कई बार कमजोर ढांचे तैयार हो जाते हैं, जो आपदा के समय बड़ी क्षति का कारण बनते हैं। ऐसे में इस प्रकार के प्रशिक्षण शिविर सुरक्षा जागरूकता और व्यवहारिक कार्यकुशलता को बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होंगे



शिविर में प्रतिभागियों को सीमेंट, गिट्टी, बालू और ईंट की गुणवत्ता जांच के आसान तरीकों की जानकारी दी गई। प्रशिक्षकों ने बताया कि सही अनुपात में मिश्रण, उचित क्योरिंग और स्थायी नींव किसी भी भवन को आपदा से लड़ने की मजबूती प्रदान करता है। इंजीनियरों ने राजमिस्त्रियों को “रेड ट्रेप बाउंड, एल-जंक्शन, पोकेट एल-जंक्शन, ईंट पिलर पॉकेट” जैसी विशेष निर्माण तकनीकों के बारे में भी प्रशिक्षित किया।इन तकनीकों की सहायता से भवन दीवारों में उचित इंटरलॉकिंग, लोड-डिस्ट्रीब्यूशन और बेहतर स्थायित्व सुनिश्चित होता है। खासकर भूकंप के दौरान दीवारों की पकड़ और मजबूती बनाए रखने में यह तकनीकें अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
दरियापुर भेलवा के संतोष कुमार, कबेला के फंटुश दास, माधवपुर के मंगल कुमार और उदयपुर के प्रवीण कुमार ने प्रशिक्षण को बेहद उपयोगी बताते हुए कहा कि पहली बार उन्हें इतने व्यवस्थित ढंग से तकनीकी और वैज्ञानिक जानकारी दी जा रही है। उन्होंने कहा—हम लोग रोजाना मकान बनाते हैं, लेकिन भूकंप-रोधी निर्माण की बारीकियों को इस तरह कभी नहीं समझ पाए थे। यह प्रशिक्षण हमारे काम में निखार लाएगा और लोगों को सुरक्षित घर देने में मदद करेगा।


प्रशिक्षण का संचालन कर रहे इंजीनियर राहुल कुमार ने सहभागी राजमिस्त्रियों को समझाते हुए कहा कि भवन निर्माण अब सिर्फ एक पारंपरिक काम नहीं रह गया है, बल्कि एक तकनीकी और वैज्ञानिक प्रक्रिया बन चुका है। उन्होंने बताया कि छोटे-छोटे बदलाव और सावधानियाँ भी भवन को 6 से 7 तीव्रता के भूकंप तक सुरक्षित बनाए रख सकती हैं। इंजीनियर राहुल ने उदाहरण देते हुए कहा—“सही अनुपात में सामग्री का प्रयोग, दीवारों में उचित बॉन्डिंग, कॉलम-बीम की सटीक बनावट और L-जंक्शन की मजबूती भवन को आपदा के समय ढहने से बचाती है।” शिविर में व्यावहारिक प्रशिक्षण पर विशेष जोर दिया जा रहा है।प्रशिक्षुओं को मौके पर ही ईंट बाँधने की तकनीक, ट्रेप बाउंड निर्माण, एल जंक्शन की संरचना और भूकंप-रोधी घरों के मॉडल तैयार करना सिखाया जा रहा है। आगामी दिनों में प्रतिभागियों को लाइव डेमो, वीडियो प्रस्तुति और मैदानी अभ्यास भी कराया जाएगा। अधिकारियों का मानना है कि जब स्थानीय राजमिस्त्री भूकंप-रोधी तकनीक में प्रशिक्षित होंगे, तो ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित और टिकाऊ भवनों के निर्माण का रास्ता काफी आसान हो जाएगा। मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का लक्ष्य है—“हर घर मजबूत, हर परिवार सुरक्षित।” शिविर का समापन आगामी सप्ताह में प्रमाणपत्र वितरण के साथ होगा।

img 20251117 wa0012709029136123216888
img 20251117 wa00138407549143985776116
img 20251117 wa00194547699292003310453

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *