डुमरिया बुजुर्ग में गूंजा सुर और भक्ति का संगम,साहित्य साधना संचार मंच के बैनर तले हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम का भव्य आयोजन

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श्रवण आकाश, खगड़िया. खगड़िया जिले के परबत्ता प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत डुमरिया बुजुर्ग का अतिप्राचीन बजरंगबली मंदिर गत् रात संगीत और भक्ति के रस में सराबोर रहा। अवसर था साहित्य साधना संचार मंच के तत्वावधान में आयोजित भव्य सांस्कृतिक संध्या का, जिसमें क्षेत्र के कवियों, गजल गायकों और भजन कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से लोगों का मन मोह लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और बजरंगबली की आराधना के साथ हुआ। मंचासीन अतिथियों में मंच के राज्य प्रभारी एवं  वित्त मंत्री बालमुकुंद हजारी, कार्यक्रम के आयोजक अशोक मिश्र आदि  शामिल रहे।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए आयोजक अशोक मिश्र ने कहा कि संगीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मा की भाषा और समाज को जोड़ने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने बताया कि साहित्य साधना संचार मंच का उद्देश्य कला, संस्कृति और साहित्य को गांव-गांव तक पहुंचाना है ताकि नई पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी रह सके।
मिश्र ने कहा, “आज के युग में जब मोबाइल और सोशल मीडिया ने मानवीय संवेदनाओं को कहीं पीछे छोड़ दिया है, ऐसे में संगीत और साहित्य ही वह शक्ति है जो हमें हमारी मिट्टी से जोड़ती है।”

मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए वित्त मंत्री बालमुकुंद हजारी ने कहा कि कला और संस्कृति किसी भी समाज की आत्मा होती है। उन्होंने कहा कि साहित्य साधना संचार मंच जैसी संस्थाएं गांवों में सांस्कृतिक चेतना जगाने का जो काम कर रही हैं, वह प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा, “सरकार की प्राथमिकता सिर्फ सड़क और पुल पुलिया बनाना नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपरा को जीवंत रखना भी है। ऐसे आयोजन समाज के बीच सकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं और युवा वर्ग को अपने इतिहास और संस्कृति से परिचित कराते हैं।” उन्होंने कहा कि कलाकार समाज के दर्पण होते हैं, जो अपनी रचनात्मकता से लोगों को सोचने और जोड़ने का काम करते हैं। उन्होंने मंच के सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया और इस प्रकार के कार्यक्रम को नियमित करने की सलाह दी।


कार्यक्रम की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को देर रात तक बांधे रखा। शुरुआती दौर में गजल गायक राजीव सिंह ने अपनी मधुर आवाज़ में “फिर कौन बिगाड़ेगा, जब राम सहारा है…” जैसी गजल सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही लूटी।
वहीं भजन गायक रामकिंकर सिंह ने “ जब कोई ना हो अपना, सियाराम….” की प्रस्तुति से पूरा माहौल भक्तिमय कर दिया। युवा गायक गोपाल कुमार और मुरारी मिश्र की स्वर लहरियों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। लोकगीतों और पारंपरिक भजनों के साथ-साथ कवि की बेहतरीन झलक भी देखने को मिली, जिसमें स्थानीय कवियों ने समाज और संस्कृति पर अपनी भावनाएं साझा कीं। कार्यक्रम में तबला वादक मृदुल मिश्र और मुन्नी चौधरी ने भी अपनी बेहतरीन तबला वादन संगत से संगीत का रंग घोल दिया।
उनकी थाप और लय की जुगलबंदी पर दर्शक झूम उठे। हर ताल पर सजीवता और ऊर्जा का ऐसा संगम देखने को मिला कि कार्यक्रम स्थल तालियों से गूंज उठा। दोनों कलाकारों ने अपनी कला से संगीत की अद्भुत छटा बिखेर कार्यक्रम को और भी यादगार बना दिया।

उपस्थित समाजसेवी श्रवण आकाश ने कहा कि पूरे कार्यक्रम में श्रद्धा और सांस्कृतिक उमंग का सुंदर संगम देखने को मिला। स्थानीय ग्रामीणों, महिला समूहों और युवाओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति ने यह साबित कर दिया कि आज भी डुमरिया बुजुर्ग गांव की मिट्टी में कला और संस्कृति की जड़ें गहरी हैं। संगीत के स्वर बजरंगबली मंदिर की प्राचीन दीवारों से टकराकर जब गूंजे, तो मानो पूरा वातावरण भक्ति, साहित्य और आनंद की धारा में बह उठा। उन्होंने कहा कि “संस्कृति जीवित रहे, तो समाज सशक्त रहेगा!”

कार्यक्रम के आखिरी क्षण आयोजकों और मौजूद गणमान्य लोगों द्वारा सभी कलाकारों के उत्साहवर्धन हेतु सम्मान पत्र और उपहार भेंट कर सम्मानित किया गया।

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