खाना बनाते समय भड़की आग, तीन घर जलकर राख – लाखों की क्षति से गांव में मातम

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श्रवण आकाश, खगड़िया. खगड़िया जिला अंतर्गत परबत्ता नगर पंचायत के वार्ड नंबर 13 के करना गांव में बुधवार देर संध्या अचानक लगी आग ने पूरे गांव को दहशत और मायूसी से भर दिया। खाना बनाने के दौरान भड़की आग कुछ ही मिनटों में विकराल रूप धारण कर गई और तीन परिवारों को पूरी तरह उजाड़ गई। इस अग्निकांड में मनोज कुमार सिंह, मुनेश्वर सिंह और चीना देवी के पूरे घर देखते ही देखते राख के ढेर में तब्दील हो गए। घास-फूस और लकड़ी से बने मकानों में लगी आग की लपटों ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि लोग कुछ समझ पाते उससे पहले ही आग चारों ओर फैल चुकी थी।



स्थानीय लोगों के अनुसार घटना की शुरुआत रसोई से हुई, जहां भोजन पकाने के क्रम में अचानक चिंगारी उछली और देखते ही देखते आग ने घर को अपनी आगोश में ले लिया। चूंकि घरों का निर्माण मुख्यतः घास-फूस और लकड़ी से किया गया था, इसलिए आग ने पलक झपकते ही अपना रूप बदल लिया। ग्रामीणों ने बताया कि आग की लपटें इतनी तेज थीं कि घर के भीतर मौजूद सामान निकालने का भी मौका नहीं मिल पाया। लोग चिल्लाते हुए बाहर की ओर भागे और गांव में अफरा-तफरी मच गई। आग लगने की सूचना मिलते ही ग्रामीणों ने खुद ही आग बुझाने का प्रयास किया। कई लोग बाल्टी और डिब्बों में पानी भर-भरकर आग पर डालते रहे, लेकिन तेज हवा और सूखे तिनकों ने आग को और फैलने दिया। जब स्थिति नियंत्रण से बाहर जाने लगी, तब तुरंत परबत्ता थाना को सूचना दी गई। जानकारी मिलते ही परबत्ता थानाध्यक्ष अरविंद कुमार ने बिना देर किए दमकल वाहन घटना स्थल की ओर रवाना किया। दमकल कर्मियों ने पहुंचकर कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक तीनों घर पूरी तरह जल चुके थे।

इस भीषण अग्निकांड में लाखों की संपत्ति नष्ट हो गई। घरों के साथ-साथ उसमें रखा फर्नीचर, कपड़ा, बर्तन, अनाज, जरूरी दस्तावेज सहित कई घरेलू सामान जलकर राख हो गए। पीड़ित परिवारों का कहना है कि उनके पशुओं के लिए रखा गया भूसा और चारा भी पूरी तरह स्वाहा हो गया, जिससे अब पशुपालन पर संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने बताया कि आग ने न सिर्फ उनके घर बल्कि उनकी जीवन भर की कमाई को भी निगल लिया। गांव में घटना के बाद गहरा सन्नाटा पसरा हुआ है। लोग इस दर्दनाक घटना से सहमे हुए हैं। कई ग्रामीण पीड़ित परिवारों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं—किसी ने कपड़े दिए तो किसी ने खाने-पीने का सामान। वहीं प्रशासनिक स्तर पर भी क्षति का आकलन किया जा रहा है। ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द से जल्द मुआवजा देने की मांग की है, ताकि पीड़ित परिवार फिर से अपने जीवन को पटरी पर ला सकें।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि दमकल समय पर नहीं पहुंचता, तो आग पूरे टोले को अपनी चपेट में ले सकती थी और नुकसान कहीं ज्यादा बड़ा हो सकता था। आग पर काबू पाने में दमकल जवानों की तत्परता और मेहनत की सराहना गांव के लोग कर रहे हैं। हालांकि, इस घटना ने गांव के लोगों को आग से सुरक्षा और सावधानी के महत्व का गहरा सबक भी दे दिया है। अभी गांव में वही जले हुए घरों की राख और पीड़ितों की मायूसी बची है। परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं और गांव के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन जल्द मदद पहुंचाए, ताकि ये परिवार दोबारा अपने घरों को बसाने की शुरुआत कर सकें।

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