पिछली हार से सबक, इस बार जीत का दावा कर रहे बाबुलाल सौर्य
श्रवण आकाश, खगड़िया.परबत्ता विधानसभा क्षेत्र में चुनावी माहौल धीरे-धीरे गरमाने लगा है। इसी कड़ी में पूर्व विधानसभा प्रत्याशी बाबुलाल सौर्य ने एक बार फिर मैदान में उतरने की तैयारी शुरू कर दी है। पिछले विधानसभा चुनाव में वे लोजपा पार्टी के सिम्बोल पर प्रत्याशी बने थे, हालांकि हार का सामना करना पड़ा था। इसके बावजूद क्षेत्र की राजनीति में उनकी पकड़ और सक्रियता कायम रही। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस बार भी बाबुलाल सौर्य एनडीए गठबंधन के किसी पार्टी सिम्बोल से चुनावी मैदान में उतरने को प्रयासरत हैं। इसके लिए उन्होंने क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान की शुरुआत कर दी है। गांव-गांव जाकर लोगों से मुलाकात कर वे अपनी बात रख रहे हैं और पिछली हार को जनता का सहयोग लेकर जीत में बदलने का दावा कर रहे हैं। पुछताछ में बाबुलाल सौर्य ने कहा कि परबत्ता विधानसभा के लोगों की समस्याओं और आकांक्षाओं को वे बखूबी समझते हैं। उनका जोर इस बार ग्रामीण इलाकों में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर है। जनसंपर्क के दौरान वे लगातार यह संदेश दे रहे हैं कि यदि उन्हें मौका मिला तो क्षेत्र के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
स्थानीय स्तर पर देखा जाए तो उनके समर्थक पहले से ही सक्रिय हो चुके हैं। खासकर युवाओं और ग्रामीण तबके में उनकी मुलाकातें चर्चा का विषय बनी हुई हैं। क्षेत्र की राजनीति में उनकी दोबारा एंट्री को लेकर कई तरह की अटकलें भी लगाई जा रही हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि परबत्ता सीट पर मुकाबला इस बार और भी दिलचस्प होगा। एक तरफ वर्तमान विधायक और अन्य दावेदार अपनी स्थिति मजबूत करने में लगे हैं, वहीं बाबुलाल सौर्य भी लगातार मेहनत कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि एनडीए से टिकट पक्का हो और वे मजबूत दावेदार के रूप में मैदान में उतरें। परबत्ता की राजनीति में उनकी सक्रियता ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय भी हो सकता है। अब देखना यह होगा कि बाबुलाल सौर्य को टिकट मिलता है या नहीं, लेकिन इतना तय है कि उनकी मौजूदगी से चुनावी समीकरण पर असर पड़ना तय है।
चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि बाबुलाल सौर्य का पिछला अनुभव उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। साथ ही, ग्रामीण इलाकों में लगातार उपस्थिति बनाए रखने से वे जनता के बीच भरोसा मजबूत करने में सफल हो रहे हैं। विपक्षी दल जहां उनके प्रभाव को कम आंकने की कोशिश में हैं, वहीं समर्थकों का दावा है कि इस बार वे मजबूती से विधानसभा तक पहुंच सकते हैं।

