श्रवण आकाश (खगड़िया) की कलम से
आस्था का महापर्व छठ पूजा की तैयारियां बीते दिनों से हीं नहाय खाय और खरना के साथ ही साथ चैती छठ महापर्व को लेकर समस्त व्रती और महिलाएं पुरुषों सहित बच्चे बच्चियों के बीच इन दिनों खुशियां की झलक दिखाई दे रही है। आपको ज्ञात हो कि आस्था का महापर्व छठ पूजा साल में दो बार मनाया जाता है। जहां कार्तिक मास में आने वाले छठ पर्व को अधिक महत्व दिया जाता है, लेकिन चैती छठ का महत्व पूर्वांचल के लोगों के लिए एक समान ही होता है। इस पर्व से कई मान्यताएं जुड़ी हुई है। कार्तिक मास का छठ पर्व और चैती छठ दोनों में ही आस्था समान है। यह पर्व सूर्य देव की उपासना के लिए प्रसिद्ध हैं और छठ देवी भगवान सूर्य की बहन हैं। इसलिए छठ पर्व पर छठ देवी को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। किसी पवित्र नदी या सरोवर के तट पर सूर्य देव की अराधना की जाती है। वहीं खगड़िया जिला के भी विभिन्न गंगा नदियों के तटों पर छठ व्रतियों ने भगवान सुर्य के डुबते रुप को कच्चा दूध और जल से पुजा अर्चना किया।

छठ पूजा में क्यों होती है सूर्य देव की पुजा ?
चैती छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय के साथ शुरू होता है और फिर अगले दिन खरना का व्रत किया जाता है। खरना व्रत की संध्याकाल में उपासक प्रसाद के रूप में गुड-खीर, रोटी और फल आदि का सेवन करते हैं और फिर अगले 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखते हैं। मान्यता है खरना पूजन से छठ देवी की कृपा प्राप्त होती है और मां घर में वास करती हैं। छठ पूजा में षष्ठी तिथि का अहम मानी जाती हैं। इस दिन नदी या जलाशय के तट पर उदीयमान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है और पर्व का समापन करते हैं।

चैती छठ पूजा भी छठ माई के भक्तों द्वारा काफी धूमधाम से मनाया जाता है ! दरअसल, नई फसल के बाद किसान परिवारों में चैत्र महीने में होने वाले सूर्य उपासना के इस महापर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि गर्मी के कारण 36 घंटे का निर्जला उपवास बहुत ही कठिन होता हैं, लेकिन फिर भी कई लोग चैती छठ को धूमधाम से मनाते हैं। कार्तिक मास के अपेक्षा चैती छठ को कम ही लोग मनाते हैं।


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है। सभी महिलाएं इस व्रत को अपने संतान की दीर्घायु के लिए भी करती हैं। यह व्रत केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी संतान के लिए करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक छठी मैय्या को सूर्य देवता की बहन कहा जाता है। मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माई प्रसन्न होती हैं और परिवार में सुख शांति समृद्धि का आगमन होती है।

अगुआनी गंगा घाट पर भी श्रद्धालुओं ने किया आस्था और विश्वास के साथ डुबते सुर्य की पुजा
खगड़िया जिला के परबत्ता प्रखंड अंतर्गत अगुआनी गंगा घाट पर भी इन दिनों छठ व्रतियों की पूजा अर्चना करने को लेकर लोगों की भीड़ देखी गई। जिससे साफ स्पष्ट होती है कि इस इलाके में भी चैती छठ को लोग बढ़-चढ़कर मान्यता देते हैं और हिंदू रीति रिवाज के अनुसार आस्था का महापर्व छठ पर्व मनाते हैं। वही डुमरिया बुजुर्ग गांव के कई छठ व्रतियों जैसे शंकर सिंह की पत्नी उषा देवी, सुधीर मिश्रा की पत्नी नूतन देवी, मनोज सिंह की धर्मपत्नी चुन्नी देवी, जयप्रकाश मंडल की धर्मपत्नी चंदन देवी, रिंकू देवी सहित बरुण कुमार पटेल, दुर्गा पटेल, छात्र नेता नवनीत कुमार, रवीश कुमार, मंगल कुमार, विश्वास कुमार, सुजीत कुमार, हर्षित कुमार, हिमांशु कुमार, शुभम कुमार आदि ने आस्था और विश्वास के साथ अर्ध्य देखकर पूजा अर्चना किया।
