पार्थिव शरीर पहुंचते ही मचा कोहराम, परबत्ता ने खो दिया अपना एक सशक्त स्तम्भ — पूर्व प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह नहीं रहे

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श्रवण आकाश, खगड़िया.परबत्ता प्रखंड के डुमरिया बुजुर्ग गांव में सोमवार की संध्या का वातावरण उस समय शोकाकुल चीख-पुकार से भर उठा, जब पूर्व प्रमुख एवं इलाके के प्रतिष्ठित जमींदार स्वर्गीय अखिलेश प्रसाद सिंह का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा। घर पहुंचते ही परिजनों की करुण क्रंदन से माहौल गमगीन हो गया। महिलाओं की चीखें, वृद्धों की सिसकियाँ और ग्रामीणों की आंखों में उमड़ते आंसू मानो पूरे परबत्ता की पीड़ा को एक साथ बयान कर रहे थे। क्षेत्र ने अपने एक ऐसे मार्गदर्शक को खो दिया, जिसने जीवन के नौ दशक समाज सेवा को समर्पित किए। डुमरिया बुजुर्ग के मूल निवासी, सौम्य स्वभाव व सादगी के पर्याय बाबू अखिलेश प्रसाद सिंह का पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में इलाज के दौरान निधन हो गया। उनके असामयिक देहावसान की खबर मिलते ही परबत्ता, गोगरी, खगड़िया सहित पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। लगभग 90 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली, किंतु उनके व्यक्तित्व की गरिमा और उनके द्वारा किए गए जनकल्याण के कार्य आज भी जनमानस के हृदय में अमिट रूप से अंकित हैं।

स्व. सिंह परबत्ता प्रखंड के निर्विरोध पूर्व प्रमुख रह चुके थे। मर्यादित व्यक्तित्व, गंभीर चिंतन और जनता से सीधा संवाद उनकी पहचान थी। समाजिक न्याय, किसानों-मजदूरों के हित और शैक्षणिक विकास को लेकर वे हमेशा अग्रणी रहे। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि “अखिलेश बाबू सिर्फ पूर्व प्रमुख नहीं थे, वे हर परिवार के सुख-दुख में शामिल रहने वाले संरक्षक थे।” उनकी यही मानवता और सहजता उन्हें जनता का प्रिय बनाती थी। बीते कई दिनों से वे IGIMS में भर्ती थे। 5 दिसंबर को परबत्ता के नवनिर्वाचित विधायक बाबूलाल सौर्य उनसे मिलने अस्पताल पहुंचे थे। परिजनों के अनुसार, विधायक को सामने देखकर उनके चेहरे पर संतोष का भाव उभर आया था। उन्होंने हाथ उठाकर आशीर्वाद भी दिया था। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। मंगलवार को वही व्यक्तित्व सदा के लिए मौन हो गया। विधायक सौर्य ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि “यह सिर्फ परिवार की नहीं, पूरे परबत्ता की अपूरणीय क्षति है। हमने एक संरक्षक, समाज ने एक आदर्श और राजनीति ने एक सरल हृदय नेता खो दिया।”

स्व. सिंह के पुत्र बिपुल कुमार सिंह ने नम आंखों से बताया कि पिता ने सदा सेवा को अपना धर्म माना। उनके कार्यकाल में कई जनहित और आधारभूत विकास के कार्य हुए, जिसने परबत्ता प्रखंड को नई दिशा दी। उनके निधन की सूचना मिलते ही सोशल मीडिया पर भी संवेदनाओं की बाढ़ आ गई। पूर्व विधायक डॉ. संजीव कुमार व अन्य जनप्रतिनिधियों ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह क्षति लंबे समय तक भरना संभव नहीं। अंतिम यात्रा में सभी दलों के नेता, जनप्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता और दूर-दराज के गांवों से पहुंचे हजारों लोग शामिल हुए। विधायक बाबूलाल सौर्य भी अंतिम यात्रा में मौजूद रहे। लोगों ने पुष्पमालाएं अर्पित कर अपने प्रिय नेता को नम आंखों से अंतिम विदाई दी।

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