पटना | आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर रस्साकशी चरम पर है। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं एकमा सीट को लेकर अड़े हुए हैं, और इस सीट से इस्तीफा लेने से स्पष्ट इनकार कर दिया गया है। माना जा रहा है कि बाहुबली जननेता धूमल सिंह को एक बार फिर एकमा से जेडीयू उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा जा सकता है।
वहीं दूसरी ओर, अरवल और ओबरा सीटों को लेकर लोजपा (रामविलास) की मांग पर मतभेद उभर आए हैं। सीमावर्ती इलाकों में लोजपा को दोनों सीटें नहीं देने का फैसला लगभग तय है। सूत्रों का कहना है कि एक सीट भाजपा को सौंपी जा सकती है, जहां से मनोज शर्मा के समायोजन की संभावना जताई जा रही है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सीट बंटवारे का नया फॉर्मूला तैयार किया जा रहा है, अन्यथा एनडीए में बगावत की आहट सुनाई देने लगी है। कई असंतुष्ट नेता खुलकर विरोध की तैयारी में हैं।
जानकारी के अनुसार, आरएलएम और एचएएम दोनों दलों में भी असंतोष गहराता जा रहा है। गोह सीट से रणविजय सिंह को उतारने के लिए आरएलएम के भीतर से सशक्त मांग उठ रही है।
वहीं मढ़ौरा सीट पर भाजपा के एमएलसी सच्चिदानंद राय स्वयं या अपने पुत्र के लिए टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे, परन्तु सीट गठबंधन के समीकरण में फंस गई। अब उनके लोजपा से संभावित प्रत्याशी बनने की चर्चा भी तेज है।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर सीटों का पुनर्विन्यास और सहमति जल्द नहीं बनी, तो एनडीए में बगावत का शंखनाद होना तय है, जिससे सत्ता परिवर्तन की लहर की नींव रखी जा सकती है।