50 हजार वोट से जीतेंगे डॉ. संजीव, कम हुआ तो देंगे इस्तीफा  – जनसंपर्क में प्रत्याशी संग कार्यकर्ताओं ने झोंकी पूरी ताकत

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नामांकन के बाद जनसंपर्क अभियान में डॉ. संजीव का दमदार प्रदर्शन, विपक्ष पर कसा तंज,“नीतीश सरकार पर बरसे, डॉ. संजीव — कहा, भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है सुशासन”

श्रवण आकाश, खगड़िया। परबत्ता विधानसभा क्षेत्र में इस बार का चुनावी रण और भी दिलचस्प हो गया है। राजद प्रत्याशी एवं मौजूदा विधायक डॉ. संजीव कुमार ने नामांकन के बाद पूरे जोश और आत्मविश्वास के साथ जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है। गोगरी, परबत्ता, माधवपुर, अगुवानी, सलारपुर, भरतखण्ड, बंदेहरा, मड़ैया सहित क्षेत्र के दर्जनों गांवों में निकल रहे डॉ. संजीव के काफिले में जबरदस्त भीड़ उमड़ रही है। लोगों का उत्साह और समर्थन देखकर खुद उम्मीदवार भी जोश में हैं। डॉ. संजीव कुमार ने मीडिया से बातचीत में बड़ा बयान देते हुए कहा कि “जनता का अपार समर्थन मेरे साथ है। इस बार मैं 50 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज करूंगा। अगर 50 हजार से कम वोटों से जीत हुई तो मैं विधायक पद से इस्तीफा दे दूंगा।” उनके इस ऐलान ने पूरे परबत्ता विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में हलचल मचा दी है।

नामांकन दाखिल करने के तुरंत बाद से ही डॉ. संजीव ने क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान की रफ्तार तेज कर दी है। सुबह से लेकर देर शाम तक गांव-गांव जाकर लोगों से मिल रहे हैं। हर पंचायत में ग्रामीणों की समस्याएं सुन रहे हैं और उनके समाधान का भरोसा दिला रहे हैं। उनके साथ सैकड़ों समर्थकों की टोली ‘डॉ. संजीव जिंदाबाद’ और ‘राजद जीत निश्चित है’ ‘जय संजीव तय संजीव’ के नारों से माहौल गूंजा रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि “हमने परबत्ता में विकास की बुनियाद रखी है। सड़कों का जाल बिछाया, स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर की, अस्पतालों को सशक्त किया और किसानों के लिए सिंचाई योजनाएं आगे बढ़ाईं। अब यह विकास यात्रा रुकने नहीं देंगे।” जनसभाओं में डॉ. संजीव कुमार ने अपने प्रतिद्वंद्वियों पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विपक्ष केवल जनता को गुमराह करने में लगा है, जबकि विकास के नाम पर शून्य काम किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा — “यह सरकार सुशासन की नहीं, भ्रष्टाचार की प्रतीक बन चुकी है। अधिकारी और मंत्रीगण दोनों मिलकर लूट-खसोट में लगे हैं। जनता महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त है, लेकिन सरकार को केवल कुर्सी बचाने की चिंता है।” डॉ. संजीव ने आगे कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों का रवैया भी जनता विरोधी हो चुका है। “सरकारी दफ्तरों में बिना घूस दिए कोई काम नहीं होता। गरीब, किसान, नौजवान सब परेशान हैं। ऐसी स्थिति में जनता अब बदलाव चाहती है, और राजद ही वो विकल्प है जो उन्हें राहत दे सकता है।” परबत्ता विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी मुकाबला विकास बनाम वादे की लड़ाई में बदल चुका है। राजद प्रत्याशी डॉ. संजीव जहां अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को जनता के बीच गिना रहे हैं, वहीं विपक्षी दल सिर्फ वादों के सहारे मैदान में हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि डॉ. संजीव ने अपने कार्यकाल में स्वास्थ्य केंद्रों, स्कूलों और सड़कों पर काफी काम किया है। परबत्ता मुख्य मार्ग से लेकर सुदूर गांवों तक सड़कें पक्की हुई हैं। गोगरी प्रखंड के एक किसान ने कहा — “डॉ. संजीव ने सिंचाई की व्यवस्था में सुधार कराया है, अब फसल की पैदावार बेहतर हो रही है। ऐसे नेता को दोबारा मौका देना जनता का कर्तव्य है।”

डॉ. संजीव के जनसंपर्क अभियान में युवाओं और महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। युवाओं का कहना है कि उन्होंने रोजगार और शिक्षा को लेकर कई ठोस कदम उठाए हैं। महिला समूहों ने भी कहा कि डॉ. संजीव ने स्वयं सहायता समूहों को प्रोत्साहन देकर आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया है। परबत्ता की महिला मतदाता रीता देवी, मोना कुमारी आदि ने कहा — “पहली बार कोई विधायक हमारे घर तक आया, समस्याएं सुनीं और तुरंत कार्रवाई का भरोसा दिया। ऐसे नेता ही जनता के सच्चे प्रतिनिधि हैं।”

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राजद प्रत्याशी की टीम ने बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत कर लिया है। हर पंचायत में कार्यकर्ताओं की टीमें गठित की गई हैं। सोशल मीडिया से लेकर नुक्कड़ सभाओं तक, हर स्तर पर प्रचार अभियान जारी है। राजद के युवा नेता और पंचायत प्रतिनिधि भी लगातार क्षेत्र में जनसंपर्क कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, डॉ. संजीव का लक्ष्य इस बार हर वर्ग — किसान, नौजवान, महिला और व्यापारी को एक मंच पर लाकर ‘विकास की राजनीति’ को मजबूत करना है।

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अर्थात परबत्ता विधानसभा का चुनाव अब पूरी तरह गरमा गया है। डॉ. संजीव कुमार के “50 हजार वोट से जीतने” वाले ऐलान ने विपक्ष को बैकफुट पर ला दिया है। जनता के बीच उनकी छवि एक जमीनी, ईमानदार और विकासमुखी नेता की बन चुकी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जनता एक बार फिर उन पर भरोसा जताती है या विपक्ष अपनी रणनीति से इस लहर को रोक पाता है।

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