भागलपुर:- आजादी के 75 साल बाद भी थाना बिहपुर के लत्तीपुर उत्तर पंचायत के अमरपुर ग्राम के उच्च माध्यमिक विद्यालय, अमरपुर में नहीं बनी सड़क, घुटने भर कीचड़, एकहरा पगडंडी में चलने को मजबूर है छोटे छोटे बच्चे…

आजादी के इतने दशक बाद भी उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय, अमरपुर तक सड़क नहीं पहुंची है। अमरपुर गांव के सड़क महज 300 मीटर दूर से विद्यालय है। यह विद्यालय बिहपुर महादेव घाट रेलवे लाइन से 50 मीटर दूर, बिहपुर प्रखंड मुख्यालय से 6.5 KM और अंचल कार्यालय से सिर्फ 6.5 KM की दूरी पर है। मगर गांव के सड़क से विद्यालय तक कोई सम्पर्क पथ नहीं होने के कारण यह विद्यालय पिछड़ेपन का शिकार है।

गांव वालों ने कहा कि प्रशासन की अनदेखी और जनप्रतिनिधियों की असंवेदनशीलता ने हमारे गांव के इस विद्यालय को पीछे धकेल दिया है। बरसात के दिनों में यह खेत के आर कीचड़ में तब्दील हो जाती है, जैसा की तस्वीरों में दिख रहा है। महिलाओं, बुजुर्गों-बच्चों और बीमार लोगों को डायरिया और खांसी जैसे परेशानी का सामना करना पड़ता है।

इस विद्यालय में अमरपुर, लत्तीपुर, भगवतीपुर, करहहु और अरसंडी के बच्चे पढ़ने आते हैं , शिक्षको और छात्र के लग्न से कई IAS, IPS, डॉक्टर, इंजीनियर इस विद्यालय से रहे हैं।

पीढ़ियां गुजर गई, सरकारें बदलती रहीं, दर्जनों अफसर आए और गए मगर सवाल बरकरार रहा। नीतीश-भाजपा के न्याय के साथ विकास का नारा भी यहां आकर दम तोड़ देता है।

स्थानीय जनप्रतिनिधि से भी लोग काफी नाराज है। राजद के पूर्व विधायक शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल और उनकी पत्नी वर्षा रानी लगभग 15 साल से इस क्षेत्र के विधायक थे। वर्तमान में भाजपा के ई कुमार शैलेन्द्र विधायक है ऐसा नहीं है कि लोगों ने इसके लिए पहल नहीं की। नेताओं के सामने मांग रखी गई और अफसरों के सामने मांग रखे गए पर किसी ने एक न सुनी//

स्थानीय विधायक माननीय इंजीनियर कुमार शैलेन्द्र जी जनता आपको दुसरी बार विधानसभा में बैठा रही है ताकि आप उनके हक के लिए लड़ें इसलिए आप जल्द से जल्द इस विद्यालय के सड़क की समस्या का समाधान करें । आशा करता हूँ कि आप इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द पूरी कर देंगे ।

सरकार की भी कुछ गलतियां है ये विद्यालय अमरपुर गांव के शिक्षाविद श्री कांति प्रसाद शर्मा जी के द्वारा बनाया गया था विद्यालय स्थापना के समय समाजसेवी जी के नाम विद्यालय का नाम था, पता नहीं सरकार कि कौन सी नीति आई कि उनका नाम ही हटा दिया गया जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है, ये कारण भी रास्ते नहीं मिलने का मुख्य वजह है ग्रामीणों और जमीन विद्यालय के नाम देने वाले परिवार में भारी असंतोष है।।
अक्टूबर में पंचायत चुनाव होने वाले हैं यहां दो मतदान केन्द्र पड़ते हैं सरकार, प्रशासन ओर अधिकारी सभी आयेंगे ओर आजादी के बाद आते रहें है पर इसकी टोह लेने वाला कोई नहीं।।