खगड़िया में सात वर्षों से जमे JE-SDO पर भी उठाए सवाल
रिपोर्ट: रेशु रंजन, खगड़िया — खगड़िया जिले में कोसी नदी के तटवर्ती इलाकों में जारी कटावरोधी कार्यों में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार को लेकर स्थानीय सांसद राजेश वर्मा ने तीखी नाराजगी जताई है। उन्होंने जल संसाधन विभाग के मंत्री को पत्र लिखकर पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
सांसद ने पत्र में कहा है कि सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद तटवर्ती ग्रामीण आज भी कटाव के कारण बेघर हो रहे हैं। कटावरोधी कार्यों में मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। रोहियार बंगलिया और तेलिहार सहित कई स्थानों पर निरीक्षण के दौरान गंभीर अनियमितताएं सामने आईं।
सफेद बालू की जगह गीली मिट्टी, सीमेंट की बोरी का उपयोग
सांसद ने बताया कि संवेदक द्वारा जियो बैग में निर्धारित सफेद बालू के स्थान पर गीली मिट्टी भरकर कटाव स्थल पर फेंकी जा रही है। इतना ही नहीं, जियो बैग की जगह सीमेंट की बोरी का उपयोग किया जा रहा है, जो तकनीकी रूप से पूरी तरह अनुचित है।
स्थलीय जांच में रोहियार बंगलिया में लगभग 150 मीटर बल्ला पाइलिंग कार्य को पूर्ण दिखाया गया था, लेकिन वास्तविक स्थिति में कार्य अधूरा पाया गया। इसी तरह, तेलिहार में भी अवैध खनन कर स्थानीय मिट्टी से ही जियो बैग भरे जा रहे थे।
मापी के दौरान जियो बैग का वजन केवल 110 से 120 किलोग्राम पाया गया, जबकि मानक के अनुसार यह वजन अधिक होना चाहिए था। सांसद ने इसे अधिकारियों और एजेंसी के बीच गठजोड़ का नतीजा बताया है।
सात वर्षों से एक ही जगह पर पदस्थ JE-SDO
सांसद वर्मा ने जल संसाधन विभाग के दो अधिकारियों की लंबी तैनाती पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने पत्र में लिखा कि जेई मणिकांत पटेल और शेखर गुप्ता (वर्तमान एसडीओ) पिछले सात वर्षों से खगड़िया में पदस्थ हैं, जो सेवा नियमावली का उल्लंघन है।
सांसद का कहना है कि शेखर गुप्ता को विभाग द्वारा पदोन्नति के बाद एसडीओ बनाया गया, लेकिन फिर भी उन्हें खगड़िया में ही बनाए रखा गया। इससे भ्रष्टाचार और साठगांठ की आशंका गहराती है।
कार्यपालक अभियंता ने मानी गड़बड़ियां
इस निरीक्षण के दौरान बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता भी मौजूद थे। सांसद के अनुसार, उन्होंने भी कार्य में अनियमितता की बात को स्वीकार किया और सुधार का आश्वासन दिया।
—कटाव की त्रासदी से जूझ रहे हजारों परिवारों की उम्मीद अब इस पत्र पर टिकी है। देखना होगा कि मंत्री स्तर से क्या कार्रवाई होती है और क्या विभागीय तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार पर कोई शिकंजा कसता है।