नारी में नारायणी,करो नारी का सम्मान।
मां ने हमें जन्म दिया, उसका रखो मान।
पाल पोस कर बड़ा किया, दिये अच्छे संस्कार।
उस मां के आशीर्वाद से ही, होता है कल्याण।
नारी तेरे कितने नाम, जैसा नाम वैसा ही काम।
बहन -बूआ,ननद-भाभी,काकी-मामी,चाची मासी,
मां और सांसू, देवरानी-जेठानी।
हर रिश्ते का अलग रूप पर,हर रिश्ते का फ़र्ज़ निभाती।
मां महालक्ष्मी मां सरस्वती,जगत जननी अंबे भवानी।
गंगा है नारी,जमना है नारी, सरस्वती नर्मदा में नारी।
हर आदमी की कामयाबी नारी,नहीं कभी वो हिम्मत हारी,
क़दम से क़दम मिला के चली वो,आज हर ओहदे पर है नारी।
जीवन भर साथ निभाए नारी,घर संसार संवारे नारी।
अंत समय तक जो सेवा करती,वो पत्नी, बहु-बेटी हैं नारी।
नहीं करो अपमान नारी का,जो जग में सबसे महान।
नारी में नारायणी मुथा,करो सभी नारी का सम्मान।
स्व रचित- कवि छगनलाल मुथा,
भाईन्दर (महाराष्ट्र)