बिहपुर – गंगा किनारे बसे बिहपुर प्रखंड के लोगों पर इस बार बाढ़ का खतरा पहले से कहीं ज्यादा गहरा गया है। नन्हकार से लेकर नरकटिया तक फैले ऐतिहासिक जमींदारी तटबंध को मिट्टी माफियाओं ने लतामबाड़ी के पास बेरहमी से काट दिया है। इस अवैध कटाव से ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश है, तो दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन की चुप्पी और खनन माफियाओं की दबंगई पर भी सवाल उठने लगे हैं।

खनन माफियाओं की मनमानी और प्रशासन की चुप्पी
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बांध की ऊँचाई अधिक होने की वजह से ट्रैक्टर, जेसीबी और पोकलेन जैसी भारी मशीनों को ऊपर चढ़ने में कठिनाई होती थी। इसी असुविधा को दूर करने के नाम पर मिट्टी खनन में लगे लोगों ने बांध को ही काट कर रास्ता बना डाला। ग्रामीणों के अनुसार, एक मिट्टी लदा ट्रैक्टर पलटने की घटना के बाद यह कदम उठाया गया और अब हर दिन हजारों ट्रेलर इसी कटाव से होकर मिट्टी की ढुलाई कर रहे हैं।
इस अवैध रास्ते के कारण तटबंध पूरी तरह कमजोर हो चुका है। यदि समय रहते इसकी मरम्मत नहीं की गई, तो नरकटिया, अमरपुर, सोनवर्षा, मड़वा, विक्रमपुर, मिल्की और बिहपुर जैसे घनी आबादी वाले गांवों में बाढ़ का पानी घुस सकता है।
ग्रामीणों की पीड़ा –
सोनवर्षा निवासी किसान रंजीत कुमार राणा ने कहा, “यह बेहद दुखद है। दबंगों ने अपनी सुविधा के लिए बांध को काटकर जनजीवन को संकट में डाल दिया है। उनके खिलाफ कोई बोलने की हिम्मत नहीं करता क्योंकि वे डर का माहौल बनाए हुए हैं।”
किसान संजय कुमार ने इसे तटबंध की “हर्टलाइन” कहा और आरोप लगाया कि खनन विभाग की मिलीभगत से यह अवैध काम खुलेआम हो रहा है। “कई बार सूचना देने के बाद भी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की, यह आश्चर्यजनक है,”
पूर्व इंस्पेक्टर केशव कुंवर ने इसे लाखों लोगों की जान से खेलने जैसा बताया। “बांध की मरम्मती और दोषियों पर कार्रवाई अनिवार्य है,” उन्होंने चेतावनी दी।
किसान पियूष कुमार ने बताया कि “बांध को सबसे खतरनाक बिंदु लतामबाड़ी के पास काटा गया है, जहां पहले से ही बाढ़ के समय सीपेज होता रहता है। यह सोची-समझी लापरवाही है।”
प्रशासन बेखबर, जनप्रतिनिधि सक्रिय:
जब इस मसले पर बिहपुर अंचलाधिकारी लवकुश कुमार से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनसे बात नहीं हो सकी। लेकिन बिहपुर विधायक ई. कुमार शैलेश ने स्थिति की गंभीरता को स्वीकारते हुए कहा, “बिहपुर विधानसभा अंतर्गत लत्तीपुर से नन्हकार व राघोपुर से काजीकोरैया तक जमींदारी तटबंध किसी भी हाल में टूटने नहीं दिया जाएगा। जहां-जहां बांध क्षतिग्रस्त है, उसका निरीक्षण कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”
बिहपुर का जमींदारी तटबंध न सिर्फ बाढ़ से सुरक्षा की दीवार है, बल्कि ग्रामीण जीवन की रेखा भी है। इस पर हो रहे अतिक्रमण और अवैध खनन से हजारों लोगों की जान और भविष्य खतरे में पड़ गए हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन और सरकार इस संकट को कितनी गंभीरता से लेते हैं और कब तक इस विनाश के रास्ते को रोका जाता है।

