बिहपुर जामा मस्जिद में 27 दिवसीय तारबीह का हुआ समापन,मस्जिदों में हुई अलविदा की नमाज ।। Inquilabindia

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माह-ए-रमजान के 26 वें रोजा को बिहपुर के जामा मस्जिद में 27 दिवसीय तराबीह का समापन गुरूवार को हो गया।गुरूवार को रोजा इफ्तारी के बाद खानका- ए-मोहब्बतिया,बिहपुर में गद्दीनशीं अली कोनैन खां फरीदी एवं नायब गद्दीनशीं मौलाना अली शब्बर खां फरीदी ने तकरीर करते हुए उपस्थित लोगों से कही।वही माह-ए-रमजान का अलविदा की नमाज 29 अप्रैल को हुआ।वहीं ईद का त्योहार चांद के दृष्टिगोचर होने पर संभावित तिथि दो या तीन मई को होगा।श्री फरीदी ने कहा कि रमजानुल मुबारक का पहला अशरा रहमत,दूसरा मगफेरत व तीसरा अशरा जहन्नुम से निजात दिलाने का है।इस्लाम धर्म को मानने वाले मुसलमानों के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि क्योंकि इसी महीने कुरानशरीफ नाजिल हुआ था।उन्होंने कहा कि रमजानुल मुबारक का हर घड़ी है रहमतों से भरी।इस माह का आखिरी अशरा का एतेकाफ करना सुन्नत-ए-मोक्केदा अलल केफाया है।यानि पूरे शहर में किसी एक ने भी एतेकाफ कर लिया तो एतेकाफ सबकी तरफ से अदा हो गई।वहीं नायब गद्दीनशीं ने कहा कि अगर शहर में किसी एक ने भी एतेकाफ नहीं किया तो सभी मुजरिम होगें।श्री फरीदी ने कहा कि सरकार-ए-मुस्तफा ने फरमाया है कि जिसने माह-ए-रमजान में दस दिन का एतेकाफ कर लिया,तो ऐसा करने पर अल्लाह ताला उसके नामो अमाल में हजार साल के इबादत कर शवाब कर देता है।माह-ए-रमजान में एतेकाफरब के दरवाजे पर धरना देने का नाम है।एतेकाफ करने वाला अल्लाह की बारगाह मेें उसकी इबादत पर तैयार होकर धरना मारकर पड़ा रहता है। शुक्रवार को माहे रमजान की आखिरी जुम्मा यानी अलविदा की नमाज अदा की गई अलविदा की नमाज अदा करने के लिए मस्जिदों में काफी भीड़ देखी गई

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