भागलपुर जिले की 7 विधानसभा सीटों पर घमासान शुरू! NDA-महागठबंधन में सीटों का बंटवारा लगभग तय, लेकिन सबसे दिलचस्प मुकाबला “बिहपुर” में!
भारी सियासी हलचल और भीतरघात के बीच भागलपुर जिले की सातों विधानसभा सीटों पर अब चुनावी बिसात बिछ चुकी है। हर पार्टी अपने-अपने प्यादे चला रही है, मगर कुछ चालें उलट भी गई हैं — जिससे 2025 का चुनाव रोमांच, रहस्य और रणनीति से भर चुका है।
🔶 NDA का समीकरण – संग्राम की तैयारी
- BJP ने अपने परंपरागत गढ़ संभाले हैं-
- बिहपुर, भागलपुर, पीरपैंती
- JDU ने कुछ सीटों पर पकड़ मजबूत –
- गोपालपुर, सुल्तानगंज, कहलगांव
- LJPR -नाथनगर
🔴 महागठबंधन की बिसात – एकता या उलझन ?
- कांग्रेस की जिम्मेदारी-
- बिहपुर, भागलपुर
- राजद ने संभालीं-गोपालपुर, नाथनगर, कहलगांव, पीरपैंती
- VIP पार्टी का दावा – सुल्तानगंज (संभावित प्रत्याशी – टुनटुन साह)
🧩 बिहपुर – जो कभी था राजद का किला, अब बन गया है कांग्रेस की रणभूमि!
बिहपुर विधानसभा सीट की कहानी इस बार कुछ रहस्यमयी मोड़ ले चुकी है।
2000 से अब तक यह सीट राजद के कब्जे में रही, लेकिन इस बार कांग्रेस की दस्तक तेज़ होती दिख रही है।
🔍 क्यों डगमगाई राजद की नाव ? - राजद के मजबूत नेता शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल का जदयू में जाना, सबसे बड़ा झटका साबित हुआ।
- उनके जाने के बाद राजद में नेतृत्व का संकट गहरा गया है।
- जो चेहरे बचे हैं, उनमें आपसी द्वंद्व, आरोप-प्रत्यारोप और गुटबाज़ी ने जनता में भ्रम और नाराज़गी दोनों फैलाई है।
⚖️ कांग्रेस ने कैसे भांपा मौका ? - कांग्रेस ने रणनीतिक चुप्पी तोड़कर, ज़मीन पर पैठ बनाना शुरू कर दिया है।
- कई पुराने कांग्रेस नेता अब नए तेवर में दिखाई दे रहे हैं और बिहपुर में अपने मजबूत कैंडिडेट की तैयारी शुरू कर दी है।
- भीतरी कलह से जूझती राजद की कमजोर स्थिति को कांग्रेस ने “सुनहरा मौका” मानते हुए दावेदारी और मजबूत कर दी है।
🎭 सुल्तानगंज – VIP पार्टी की चुपचाप चढ़ाई
राजद-JDU-कांग्रेस की लड़ाई के बीच VIP पार्टी ने चुपचाप एक दांव चला है – टुनटुन साह को सुल्तानगंज से उतारने की तैयारी।
ये चाल सफल रही तो सुल्तानगंज में समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं।
📌 निष्कर्ष – सीटों का बंटवारा तय, मगर बाज़ी किसके हाथ ?
भागलपुर जिले की राजनीति एक बार फिर से भंवर में है – गठबंधन तय है, प्रत्याशी लगभग फाइनल हैं, पर जनता का मूड अभी भी रहस्यमयी बना हुआ है।
बिहपुर, सुल्तानगंज और नाथनगर जैसी सीटों पर हलचल तेज़ है, जहां भीतरघात, बगावत और दल-बदल की संभावनाएं बनी हुई हैं।