फौज बनने गये युवक की मृत शव आई घर, क्षेत्रों में बनी मातमी दृश्य

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क्रांतिकारी युवा मोहम्मद फैज खान पर समस्त ए.आई.एस.एफ युवाओं ने जताई दुःख

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श्रवण आकाश, खगड़िया की कलम से

खगड़िया जिले के परबत्ता प्रखंड अंतर्गत तेमथा करारी गांव एक बड़ी दुखद जानकारी सामने आ रही हैं, जहां सी.आई.एस.एफ की नौकरी पाने गये युवक की मृत शव आई घर। परिजनों के बीच चित्कार के साथ बनी मातमी दृश्य। प्राप्त जानकारी अनुसार युवक की पहचान तेमथा करारी गांव निवासी परवेज खान के 19 वर्षिय पुत्र और ए.आई.एस.एफ के क्रांतिकारी युवा मोहम्मद फैज खान के रूप में किया गया। शहीद कामरेट फ़ैज़ खां अपने पिता के साथ परबत्ता बाजार में इलेक्ट्रॉनिक दुकान चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करता था। दुकानदारी में वे अपने पिता व अब्बू का बढ़चढकर सहयोग करते थे। इनकी पढ़ाई लिखाई गांव के हीं प्राथमिक विद्यालय के साथ रामावती उच्च विद्यालय तेमथा में उच्चतर पढ़ाई हुई थी और के.एम.डी काॅलेज, परबत्ता में इंटर की पढ़ाई कर स्नातक का होनहार छात्र था। इतना हीं नहीं पढ़ाई लिखाई और दुकानदारी के अलावा यह ए आई एस एफ के विभिन्न हिस्सों व कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सेदारी निभाते थे। जिनके ना रहने के कारण समस्त ए आई एस एफ क्रांतिकारी युवाओं के बीच भी मातमी दृश्य बन पड़ी हैं।

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वहीं क्रांतिकारी युवा शहीद मोहम्मद फैज खान के इस घटनाक्रम को लेकर इनके साथी व चचेरा भाई आशीक खान ने कहा कि बीते रविवार को अपने घर से सी आई एस एफ की रनिंग खातिर गांव से कहलगांव के लिए शनिवार की दोपहर बाद घर से अपने अब्बू और अम्मी को बता निकला था। इनके साथी द्वारा कहा गया कि दौर में शामिल भी हो रहे थे कि अचानक तेज बुखार, चक्कर आ जमीन पर गिर पड़ा। जिसके कारण आसपास के मैदान में हलचली माहौल बन गई थी। इसके पश्चात पास के भागलपुर अस्पताल में ले जाया गया। जहां से चिकित्सकों ने पटना पीएमसीएच रेफर कर दिया और वहीं पटना पीएमसीएच में हीं सोमवार को ईलाज के दौरान हीं उनकी मौत हो वो अल्लाह के प्यारे हो गए। अर्थात क्रांतिकारी युवा मोहम्मद फैज खान शहीद हो गए।

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वहीं इस घटनाक्रम को लेकर ए आई एस एफ के क्रांतिकारी युवा प्रशांत कुमार सुमन, बिट्टू मिश्रा, राहुल कुमार, चार्ली आर्या, सबीना खातून, चांदनी आर्या सहित समस्त क्रांतिकारी युवाओं ने दुख जता बताया कि शहीद मोहम्मद फैज खान के इस घटनाक्रम को लेकर हमारे टीम को अपुर्णिय क्षति हुई हैं। जिसकी भरपाई सायद नहीं हो सकती हैं। जब भी कहीं कोई कार्यक्रम या फिर प्रोटेक्शन की जाती थीं। तो उनका सहयोग बेहतर ढंग से मिलती थी। इतना हीं नहीं वो एक ऐसे क्रांतिकारी युवा थे जो पढ़ाई लिखाई के अलावा हमेशा समाजिक कार्यों में अपनी दिलचस्पी दिखा बातचीत करते थे। भले ही वो मुस्लिम समुदाय के युवा थे, लेकिन वो मुस्लिम के साथ हिंदू धर्म में भी विश्वास रखते थे। वो अधिकांशतः कहा करते थे कि हिन्दू मुस्लिम कुछ भी नहीं हम दोनों एक इंशान है। यदि दोनों मिलकर कोई भी सामाजिक हितों को ध्यान रख प्रोटेक्शन करेंगे तो आज ना कल अवश्य मेरे समाज में बदलाव होगा।

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वहीं इनके पिता व अब्बू परवेज खान ने कहा कि मेरा लड़का बड़े हीं तैयारियां के साथ अपने घर से निकला था। वो कहता रहता था कि अब्बू घबराओ मत, अल्लाह की मेहरबानी से इस बार अवश्य मैं सलेक्ट हो फौज बन देश सेवा में जाऊंगा। रोज प्रातः काल में सड़कों और मैदानों में पसीने बहा कड़ी मेहनत करता था। इतना हीं नहीं वो जिद कर अपने छोटे भाई रब्बानी खां को भी पटना में नामांकन दाखिल करा इंटरमीडिएट की परीक्षा करा रहे थे और कहते थे कि अब्बू मेरा भाई भी देखना एक दिन पढ़ लिखकर बहुत आदमी बनेगा। लेकिन सायद अल्लाह को कुछ और मंजूर था। ऐ सर जी मैंने भी बड़ी मेहनत से अपने बच्चों को पढ़ा लिखाकर इतना बड़ा बनाया था। अंततः पुरे क्षेत्रों में मातमी दृश्य बन गई हैं।

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