- अमरजीत सिंह भागलपुर बिहार
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय का 62 वां स्थापना दिवस समारोह उत्साह पूर्ण माहौल में मनाया गया, कार्यक्रम की शुरुआत अमर शहीद तिलकामांझी के मूर्ति पर कुलपति प्रोफेसर डॉ नीलिमा गुप्ता, सांसद अजय मंडल, विधान परिषद सदस्य एन.के यादव, विश्वविद्यालय के अधिकारियों, कर्मचारियों और आगंतुक अतिथियों के द्वारा माल्यार्पण कर किया गया, उसके बाद कुलपति ने विश्वविद्यालय का ध्वज को फहराया, और छात्र छात्राओं ने विश्वविद्यालय का कुलगीत गया ,उसके बाद दीप प्रज्वलन कर और केक काटकर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया गया, कार्यक्रम के दौरान कुलपति ने आगंतुक अतिथियों और सेवानिवृत्त कर्मचारीयों को मोमेंटो देकर सम्मानित किया, इस दौरान एक ओर जहां अतिथियों ने तिलकामांझी विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर सभी अधिकारियों, कर्मचारियों और छात्रों को बधाई दी,वहीं तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के इतिहास को काफी समृद्ध बताया , वहीं कुलपति प्रोफेसर डॉ नीलिमा गुप्ता ने तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय को सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र के लिए समृद्ध बताते हुए ,62 वर्ष के लंबे गौरवशाली इतिहास की चर्चा करते हुए, विश्वविद्यालय से जुड़े सभी लोगों के लिए गौरवशाली बताया, साथ ही कुलपति ने कहा कि अभी हमलोग कोरोना काल से जूझ रहे हैं ,हमें इस कोरोना काल ने लड़ने की क्षमता सिखाई है, इस स्थापना दिवस में कोरोना को लेकर सभी को जागरूक करते हुए कहा की कोविड-19 के नियमों का पालन करते रहें, और सभी लोग टीकाकरण अवश्य कराएं , साथ ही कुलपति ने कहा कि लंबे अंतराल के बाद कॉलेज खुला है ,सभी बच्चे कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई पर ध्यान दें , हम आपको बता दें कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने भागलपुर वासियों को भागलपुर विश्वविद्यालय उपहार के रूप में दिया था, उनके बड़े भाई महेंद्र प्रसाद की पोती शारदा का विवाह, जिले के मुक्तेश्वर प्रसाद के पुत्र श्याम जी प्रसाद के साथ हुई थी, ब्रह्मदेव जमवार मुक्तेश्वर प्रसाद के करीबी साथी थे, जो एक जस्टिस थे ,उन्होंने हंसी मजाक में ही राजेंद्र बाबू से उपहार की मांग कर दी, और इस पर उन्होंने बिना हिचक के जस्टिस जमवार से पूछ लिया कि क्या चाहिए ,और उन्होंने तुरंत एक विश्वविद्यालय की मांग कर दी ,और जिसका जीता जागता उदाहरण अपना भागलपुर का तिलकामांझी विश्वविद्यालय है, आपको हम यह भी बता दें कि 14 अक्टूबर 1993 को भागलपुर विश्वविद्यालय के नाम में तिलकामांझी जोड़ा गया था ,स्वतंत्रता सेनानी और भागलपुर से तालुकात रखने वाले तिलकामांझी के नाम पर इस विश्वविद्यालय का नाम रखा गया और बिहार सरकार के अधिसूचना के बाद भागलपुर विश्वविद्यालय का नाम बदलकर तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय हो गया, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर ने कुलपति के रूप में योगदान दिया था, साथ ही इस विश्वविद्यालय से जगन्नाथ मिश्रा, भागवत झा आजाद , शिव चंद्र झा , सदानंद सिंह, गुणेश्वर प्रसाद सिंह जैसे राजनेता शिक्षा ग्रहण कर देश और दुनिया में इस इस विद्यालय का नाम रोशन किए…