परबत्ता में अखंड ज्योति कलश रथयात्रा का दूसरा दिन सम्पन्न, प्रज्ञा पीठ में दीपयज्ञ बना आकर्षण का केंद्र

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आध्यात्मिक ऊर्जा और सामाजिक जागरण का अद्भुत संगम

श्रवण आकाश, खगड़िया. परबत्ता प्रखंड में अखंड ज्योति कलश रथयात्रा के दूसरे दिन भी भक्ति, अनुशासन और लोकजागरण का अनूठा समागम देखने को मिला। अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में आयोजित यह तीन दिवसीय रथयात्रा जहां गांव-गांव आध्यात्मिक चेतना का प्रसार कर रही है, वहीं समाज में जागरूकता, नैतिक मूल्यों और सकारात्मक सोच को भी मजबूती प्रदान कर रही है।

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दूसरे दिन रथयात्रा ने लगार, बिशौनी, चकप्रयाग, अगुवानी, डुमरिया बुजुर्ग, सिराजपुर और परबत्ता गांवों का भ्रमण किया। यात्रा के स्वागत में ग्रामीणों ने जगह-जगह भव्य तोरणद्वार बनाए, पुष्पवर्षा की और सामूहिक आरती से वातावरण को आध्यात्मिक रंगों में रंग दिया। भजन-कीर्तन और प्रेरक नारों से पूरा इलाका गुंजायमान रहा। गांवों में लोगों ने नशामुक्ति, संस्कार निर्माण और सामाजिक समरसता के संदेशों को हृदय से स्वीकार करते हुए यात्रा में उत्साहपूर्ण सहभागिता की। गायत्री परिवार के युवा संयोजक अनिल कुमार ने बताया कि रथयात्रा का मूल उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का आंदोलन है। उन्होंने कहा— “हर गांव में लोगों का जोश और जागरूकता यह बताती है कि समाज परिवर्तन की यह अलख अब सिर्फ कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक व्यापक सामाजिक चेतना का रूप ले रही है।”

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इसी क्रम में युवा सह-संयोजक अभय राज उर्फ़ राकेश ने कहा कि रथयात्रा युवाओं को नकारात्मक प्रवृत्तियों से हटाकर सृजनात्मक सोच की ओर ले जा रही है। वहीं युवा प्रवक्ता श्रवण आकाश ने बताया कि यह यात्रा संयम, सदाचार, पारिवारिक सौहार्द और नैतिक मूल्यों की मजबूती का माध्यम बन चुकी है। शनिवार की शाम परबत्ता प्रज्ञा पीठ परिसर में आयोजित विशाल दीपयज्ञ ने पूरे आयोजन की गरिमा को कई गुना बढ़ा दिया। परिसर में हजारों दीप प्रज्वलित किए गए, जिसने वातावरण को अद्भुत दिव्य आभा से भर दिया। वैदिक मंत्रोच्चार और शांतिपाठ के बीच हुई इस सामूहिक दीपयज्ञ ने लोगों में आध्यात्मिक ऊर्जा और आत्मबल का संचार किया।

दीपयज्ञ का मुख्य उद्देश्य था – आत्मिक प्रकाश का जागरण, परिवारों में सौहार्द और एकजुटता बढ़ाना,समाज में नैतिकता, चरित्र और संस्कारों का दीप प्रज्वलित करना, युवा पीढ़ी को सकारात्मक दिशा देना, पर्यावरण, शिक्षा और नशामुक्ति अभियान को गति देना हैं। गायत्री परिवार के वरिष्ठ परिजनों ने कहा कि दीपयज्ञ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि अंतर्यात्रा है—जिसमें मनुष्य स्वयं को प्रकाश रूपी ऊर्जा से जोड़कर समाजहित में सोचने की प्रेरणा पाता है। दीपयज्ञ में महिलाओं, युवाओं और बच्चों की भारी भागीदारी देखने लायक थी। कई परिवार अपने-अपने कलश व दीप लेकर पहुंचे और समर्पण भाव से दीप प्रज्वलित कर समाज में उजियारा फैलाने का संकल्प लिया।

यात्रा ने दिए सकारात्मक परिणाम

रथयात्रा के दूसरे दिन पूरे क्षेत्र में कई सकारात्मक परिणाम देखने को मिले— युवाओं में नशामुक्ति के प्रति जागरूकता बढ़ी, ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से संस्कारवान समाज के निर्माण की शपथ ली, कई गांवों में पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता अभियान की पहल शुरू हुई, पारिवारिक सौहार्द और एकजुटता को लेकर ग्रामीणों में उत्साह देखा गया।

रथयात्रा का तीसरा और अंतिम दिन कन्हैयाचक, नयागांव, कबेला, विष्णुपुर और अररिया गांवों का भ्रमण करेगा। शाम को परबत्ता प्रज्ञा पीठ में भव्य सत्संग और समापन समारोह आयोजित होगा, जिसमें हजारों श्रद्धालु जुटने की संभावना है।अखंड ज्योति कलश रथयात्रा ने अब तक परबत्ता प्रखंड में आध्यात्मिकता, सामाजिक जागरण और सकारात्मक बदलाव की ऐसी धारा प्रवाहित की है, जिसने पूरे क्षेत्र को एक नई ऊर्जा और नई दिशा प्रदान की है। गायत्री परिवार के परिजन रघुवीर कुमार, बबलू चौधरी, ज्ञानचंद भगत और अनेक स्वयंसेवक रथयात्रा की सफलता में दिनभर सक्रिय रहे।

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