बिहपुर (भागलपुर)। सरकारी व्यवस्था में सुधार के तमाम दावे उस वक्त बेमानी नजर आते हैं, जब आमजन अपने छोटे-छोटे कार्यों के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हो जाएं। कुछ ऐसा ही हाल है बिहपुर प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर स्थित आरटीपीएस काउंटर का, जो समय पर नहीं खुलने की वजह से आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुका है।
सोमवार को गर्मी अपने चरम पर थी, पारा आसमान छू रहा था, पसीने से तरबतर आवेदक सुबह से कतार में खड़े रहे — लेकिन काउंटर का शटर 11:30 AM के बाद खुला।
इतनी देर तक इंतजार के बाद लोगों में आक्रोश भी दिखा और हताशा भी।
औलियाबाद के ऋतुराज ने नाराजगी जताते हुए कहा —
“कर्मियों द्वारा लगातार लोक सेवाओं के अधिकार कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। समय पर सेवा देने का कोई भाव नहीं बचा है। आए दिन बहस होती है, लेकिन सुधार नहीं।”
जाति प्रमाण पत्र हो, निवास या आय प्रमाण पत्र, दाखिल-खारिज हो या पेंशन… हर दस्तावेज के लिए जनता को सरकारी दफ्तरों की ‘मनमानी’ का सामना करना पड़ रहा है।
छात्र-छात्राएं, महिलाएं, बुजुर्ग — सभी सुबह से दस्तावेज लेकर धूप में खड़े रहे, लेकिन सुविधा के नाम पर मिला सिर्फ इंतजार।
इस संबंध में जब सीओ लवकुश कुमार से बात की गई, तो उन्होंने कहा —
“मामले की जानकारी नहीं थी। यदि काउंटर देर से खुलता है, तो जिम्मेदार कर्मियों पर निश्चित रूप से कार्रवाई होगी।”
अब देखना यह है कि प्रशासन सिर्फ बयान देकर शांत होता है या वाकई उन कर्मियों पर शिकंजा कसता है, जिन्होंने सरकारी सेवाओं को ‘लापरवाही का प्रतीक’ बना दिया है।
जनता पूछ रही है —
क्या सरकारी दफ्तर आम लोगों की सेवा के लिए हैं या सिर्फ खानापूर्ति का मंच बनकर रह गए हैं ?