उठो स्त्रियों रोना छोड़ो
थाम लो अब तलवार
झांसी की रानी बन जाओ
बनो न तुम लाचार।
चीरहरण होते ना देखो
कर दुश्मन पर प्रहार
जो इज्जत पर आंख उठाएं
उसका कर नरसंहार।
तू दुर्गा तू ही लक्ष्मी
तू ही सीता – सावित्री है
जब भी कोई संकट आए
काली बन मिटा अत्याचार।
नारी इतनी कमजोर नहीं
जो पापी के आगे झुक जाए
ज्ञानदायिनी रूप में आकर
दे ज्ञान का भंडार।
मां भी तू एक बेटी भी है
पत्नी भी और बहू भी तू ही
हृदय तेरे निर्मल की धारा
बांटे सब को प्यार।
पूजा भूषण झा, हाजीपुर, वैशाली( बिहार)।