श्रवण आकाश, खगड़िया की कलम से
परिवार…! जिस आंगन में खुशियां इठलाती हों, पीढ़ी के अंतर को स्वजन का सामंजस्य झुठलाता हों। गम भी यहां आकर राह भटक जाती हों। पुरी दुनिया जानती और कहती हैं कि हर हालात में जीने का सहारा परिवार ही होता है। यह जीवन की आधारशिला है। यह हर उम्र के लोगों के लिए दुनिया का सबसे महफूज ठिकाना भी है। बच्चे हों या बुजुर्ग, परिवार रूपी घरौंदे में ही जरूरी संबल पाते हैं। संयुक्त परिवारों में प्रेम रूपी प्रतिरोधक क्षमता सबसे बड़ी होती है। इससे ही कोरोना जैसे अवश्य दुश्मन को भी मात दी गई। जिले में ऐसे परिवार तलाशना अब भी मुश्किल नहीं, जहां हर स्दस्य एक दूसरे के प्रति प्रेम और संवेदनाओं से ओतप्रोत हो। रिश्तों का ताना-बाना ही तो है, जो स्नेह और संबल के धागों से गुंथा हुआ है। ये समय के साथ रिश्तों में आई दरार को भरने के लिए प्रेरित करते हैं। ऐसे परिवार में हर दिन खास होता है, लेकिन विश्व परिवार दिवस पर खुशियां कई गुना बढ़ जाती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की क्यों जरूरत पड़ी ?
परिवार की शांति हीं विश्व शांति का आधार हैं, हर वर्ष के 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। सभी लोग यह जानते हैं कि परिवार समाज का बुनियादी आधार है। इसका उद्येश्य परिवार के महत्व को युवाओं को समझाना हैं। जो वर्तमान समय में सिर्फ टेक्नोलॉजी के संपर्क में ही रहते हैं। जिसके कारण वह अपने परिवार से दूर न हों। वर्तमान समय में दुर्भाग्यवश उनके सोशल मीडिया फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्वीटर आदि पर तो हजारों दोस्तों की आबारें लगी रहतीं हैं, लेकिन परिवार के सदस्यों के बारे में उन्हें कुछ पुछिए तो ना के बराबर हीं जबाव देते हैं, अर्थात टेक्नोलॉजी के जमाने में लोग अपने परिवार को छोड़ अनमोल व प्यारा परिवार को भुलते भुलाते नजर आ रहें हैं।

अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की शुरूआत कब और कैसे हुई ?
आपको ज्ञात हों कि संयुक्त राष्ट्र संघ के आवाहन पर प्रत्येक साल 15 मई को विश्व परिवार दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस का इतिहास बहुत लंबा नहीं है। फिर भी बहुत कुछ मायने रखता है। वर्ष 1989 के 8 दिसंबर को 44 वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित करके वर्ष 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष की घोषाणा की थीं और वर्ष 1993 में आयोजित न्यूयार्क विशेष बैठक में वर्ष 1994 से प्रत्येक साल के 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। जिससे विभिन्न देशों-विदेश की सरकारें और जनता परिवार से जुड़े मामलों की समझ को उन्नत कर सकें, साथ ही साथ परिवार के सामंजस्य, खुशहाली व प्रगति को भी मजबूत कर सकें। इस वर्ष की थीम ‘फैमिलीज एण्ड न्यू टेक्नालॅाजी’ अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के इस साल की थीम ‘फैमिलीज एण्ड न्यू टेक्नालॉजी’ से परिवार के युवा सदस्य अपने दादा-दादी, नाना-नानी को नई तकनीकी के उपयोग को सीखने-समझाने में मदद करें, ऐसे ही बड़ी उम्र के सदस्य युवाओं में मूल्यों को स्थापित करने की भूमिका निभायें तो बेहतर परिवार व समाज की रचना की जा सकती है। विश्व परिवार दिवस 15 मई के अवसर का उपयोग हम इस चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए कर सकते है।

भारत में भी मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस
भारत में विगत दो वर्ष में कोविड-19 महामारी से उत्पन्न वैश्र्विक संकट के समय लॉकडाउन की वजह से परिवारों की तकनीकी निर्भरता भारत में भी बहुत तेजी से बढ़ी है। कोई भी कार्य शिक्षा, आवश्यक वस्तुओं सेवाओं की खरीद, सुदूर बैठे रिश्तेदारों से संपर्क आदि सभी कार्य ऑनलाईन ही किया जा रहा था। ऐसे में नई तकनीकी के महत्व को विशेष तौर पर पहचाना गया। साथ ही इनके उपयोग की आवश्यकता को महसूस किया गया। वही विभिन्न जगहों पर समाजिक कार्यकर्ताओं और छात्र बिट्टु कुमार सिहं झारखण्ड केन्द्रीय विश्वविद्यालय के जन संचार विभाग के छात्र के द्वारा एक स्वस्थ समाज के निर्माण हेतु परिवार के महत्व एवं उपयोगिता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए आस-पास के परिवार वालों को परिवार के महत्व के बारे में समझा रहे है। विश्व परिवार दिवस पर हर घर आंगन में खुशियां कई गुना बढ़ जाती हैं। साथ ही साथ युवा गायक रुपेश कुमार चौधरी, प्रतीक कुमार, रामकिंकर सिंह, राजीव सिंह और अंतरराष्ट्रीय लोक गायिका देवी भी अपने मीठी सुरीली आवाज में गायन प्रस्तुत कर टेक्नोलॉजी को छोड़ अपने परिवार के भी प्यार मोहब्बत और आपसी भाईचारे पर सबों का ध्यान केंद्रित करा रहे हैं। पुरे हिंदुस्तान के साथ ही साथ बिहार में परिवार के रिश्तों का गुलिस्तां हीं कुछ अजीब और मनमोहक हैं। चार पीढिय़ां एक हीं छत के नीचे खुशी पुर्वक गुजर बसर करते है। जहां 20 लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। परिवार के सदस्य भी एक दूसरे के साथ मिल कर कार्य करने में रुचि रखते हैं। एक दूसरे का ध्यान रखने की होड़ लोगों को प्रेरित करती है। साझी रसोई, प्यार और सहकार के भाव के साथ पके भोजन में रिश्तों की खुशबू मन मोह लेती है।
