नगपति-से अचल व्यक्तित्व का
महत अवतरण -दिवस यह।
उनका मानवता-प्रेम,सद्भाव,
लोक कल्याण सन्देश वह।
मृदुल, सरल, जो रखें, देश की
एकता,अखंडता से सरोकार।
राष्ट्र एक मंदिर, कहें आस्था,
समावेश ही विचार का आधार।
विरोधी की प्रशंसा करें, जाति,
रंग,धर्म,पंथ से ऊपर रखें जनहित।
राजनीति -केंद्र हो व्यक्ति विकास,
हर वर्ग हो जिसमें सहज समन्वित।
अहर्निश साधना से गढ़ते, निज संग,
समग्र का व्यक्तित्व, कृतित्व।
वह राष्ट्र-धर्मी अर्जुन अटल महान,जो
दें विश्व -अधिकार आयोग नेतृत्व।
सरल हो,करें त्रि-राज्य का गठन वह,
सत्ता-लोभ मध्य रहें वह वीतराग।
रचनाधर्म को जोड़ें देश-धरातल से,
संयम-मूर्ति रखें, युवा-ह्रदय सन्मार्ग।