सबको पछाड़ ललित गर्ग और डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’ बने प्रथम विजेता

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इंदौर (मप्र)। हिंदीभाषा डॉट कॉम परिवार द्वारा सतत स्पर्धाओं के माध्यम से रचनाशिल्पियों का उत्साह बढ़ाने का कार्य जारी है। इसी निमित्त पारिवारिक विषय ‘उनकी साँसों से मेरी खुशियाँ’ पर 83 वीं स्पर्धा कराई गई। इसमें अच्छे भाव उकेरकर गद्य में ललित गर्ग प्रथम विजेता बनने में सफल हुए हैं, तो डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’ ने पद्य में पहली जीत हासिल की है।

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स्पर्धा के परिणाम जारी करते हुए उक्त जानकारी मंच-परिवार की सह-सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन और संस्थापक-सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने दी। आपने बताया कि, लेखन की श्रेष्ठता अनुरुप निर्णायक मंडल ने गद्य में ‘पिता:प्रेरणा, प्रकाश और पुत्र के व्यक्तित्व की सुघड़ता’ आलेख पर श्री गर्ग (दिल्ली) को पहला स्थान और ‘पिता के आखिरी शब्द’ हेतु हेमराज ठाकुर (मंडी, हिमाचल प्रदेश) को द्वितीय विजेता चुना है। इसी कड़ी में तीसरे विजेता ‘ताकत व विश्वास का रिश्ता’ आलेख पर हरिहर सिंह चौहान (इंदौर, मप्र) बने हैं।


श्रीमती जैन (दिल्ली) ने बताया कि, इस प्रति. के अंतर्गत पद्य वर्ग में पहले क्रम पर कविता ‘पिता दीए की बाती’ के लिए ‘भारतीय’
(हिमाचल प्रदेश) जीते हैं। अन्य में ‘छतरी बन खड़े रहे बरगद से’ रचना पर दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’
(कलकत्ता, पश्चिम बंगाल) द्वितीय और ‘हर मुश्किल का हल थे पापा’ पर डॉ. गायत्री शर्मा ‘प्रीत’ (इंदौर, मप्र) को तृतीय विजेता घोषित किया गया है।

सभी विजेताओं को मंच संयोजक प्रो.डॉ. सोनाली सिंह, मार्गदर्शक डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’, परामर्शदाता डॉ. पुनीत द्विवेदी (मप्र), विशिष्ट सहयोगी एच.एस. चाहिल व प्रचार प्रमुख श्रीमती ममता तिवारी ‘ममता’ (छग) ने हार्दिक बधाई दी है। श्रीमती जैन ने बताया कि, हिंदी साहित्य अकादमी (मप्र) से अभा नारद मुनि पुरस्कार- सम्मान एवं 1 राष्ट्रीय कीर्तिमान प्राप्त 1.54 करोड़ दर्शकों- पाठकों के अपार स्नेह और 10 सम्मान पाने वाले इस मंच द्वारा विभिन्न विषयों पर स्पर्धाओं के जरिए मातृभाषा हिन्दी का सतत प्रचार और रचना शिल्पियों को जोड़ने का कार्य जारी है।

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