कल हो या हो आज

प्रो उमेश नंदन सिन्हा

जिनकी चमक हुआ करती थी ,चमके ज्यों कोहिनूर ,

वे भी फीके हो जाते हैं , हो जाते जब दूर।

अजब रीति यह ,गजब जमाना ,हुए स्वार्थी लोग ,

निज हित के ही पीछे पाग़ल ,हो गये सारे लोग ।

विषम परिस्थितियां जब भी आती ,कोई न अपना दिखता ,,

आत्मीयजन या शुभचिंतक ,दोस्त न अपना दिखता ।

सेल्फ हेल्प इज बेस्ट हेल्प है ,करो आप पर नाज ,

तभी सुखी रह पाओगे भैया ,कल हो या हो आज ।

प्रो उमेश नन्दन सिन्हा ।

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