जिनकी चमक हुआ करती थी ,चमके ज्यों कोहिनूर ,
वे भी फीके हो जाते हैं , हो जाते जब दूर।
अजब रीति यह ,गजब जमाना ,हुए स्वार्थी लोग ,
निज हित के ही पीछे पाग़ल ,हो गये सारे लोग ।
विषम परिस्थितियां जब भी आती ,कोई न अपना दिखता ,,
आत्मीयजन या शुभचिंतक ,दोस्त न अपना दिखता ।
सेल्फ हेल्प इज बेस्ट हेल्प है ,करो आप पर नाज ,
तभी सुखी रह पाओगे भैया ,कल हो या हो आज ।
प्रो उमेश नन्दन सिन्हा ।