नशा मुक्त हो सारा जहां!
नशा नाश का कारण, अहित सदा ही करता हैं,
धन, दौलत,इज्जत सबकुछ माटी मोल कर देता हैं।
परिवार का सुख चैन छीने, बुरा यह महा दानव हैं,
पैसों की होली कर देता, पापियों-सी करनी हैं।
हँसते, हँसाते परिवार पल में, हो जाते बेघर हैं,
पद, प्रतिष्ठा, मान सम्मान, नशा छीन लेता हैं ।
नाश हमारे स्वास्थ्य का, नाश करें संसार का,
अपनों से पराया करता, नशा दुर्गति का कारण हैं।
समझाये समझ न पाते, मन भ्रमित हो जाता हैं,
नष्ट हो जाती बुद्धि, बल, नशा बड़ा प्रलयंकारी हैं,
धीरे धीरे मिटा दे हस्ती, ऐसा दुष्ट दुराचारी हैं,
पैसों की होली कर देता, बर्बाद कर देता जिंदगानी हैं।
नशे में लिप्त मानव देखो, दानव बन जाता हैं,
भला बुरा सोच न पाता, भेद न, भूल पछतावा हैं।
फला फुला हरियाला बाग, पलभर में बंजर हो जाता हैं,
खोखला होता देह, मन रोगी निरुत्साही हो जाता हैं।
नशा नाश कर धन, बल, बुद्धि का, सोच दूषित कर देता हैं,
सदाबहार खुशियों का मेला क्षतविक्षत हो जाता हैं।
मीठा जहर यह जीवन को बदहाल कर देता हैं ,
परम सौभाग्य से मिला मानव भव,
नशेड़ी कहकर जग पुकारता हैं।
यश,ख्याति, प्रतिष्ठा सब कुछ पल में खाक कर देता हैं।
धिक्कार समस्त जगती में यह खूब सदा करवाता हैं।
आओ, मिलजुल कर नशा मुक्ति अभियान चलाए,
नारकीय जीवन से जनजन को सब मिल मुक्ति दिलाएं,
आनंद फूल बिछाएं राहों में, खुशियां हरदिल में लहरायें।
नशे से दूर रहने में ही भलाई, आओ सब को समझाएं।
अपनों की न हो दुरावस्था, घर आँगन खिलखिलाता रहें,
आनंद मंगल हो जीवन में, आशीर्वाद संजोते चले।
नशा चाहे कोई भी हो, राह पथरीली,कंटीली हैं,
छोड़ दो सारे दुर्विचार,नशे की लत जहरीली हैं।
स्वरचित रचना
चंचल जैन
मुंबई