प्रणय बंधन

चंचल जैन

लगे सुहानी धूप, ठंड का मौसम आया।
खिले सुहासी रूप, मोहिनी कोमल काया।।

दिखे दूर तक आज, कोहरा गगन बिछाया।
चढ़े प्रेम परवाज, प्रीत की निश्चल माया।।

धानी चूनर ओढ़, धरा आँचल लहराये।
क्यारी रंगबिरंग, तितलियां नित इतराये।।

पंछी करते शोर, मौसम हुआ अलबेला।
वन में नाचे मोर, फिजाओं में रस घोला।।

बंधी प्रिय से डोर, रेशमी बंधन प्यारा।
सात जनम का साथ, छोड़ना कभी न यारा।।

मेहंदी रच हाथ, पायल करे झंकारा।
बिंदी की चमकार, कंगना का लश्कारा।।

सोलह सज श्रृंगार, पिया मिलन की सु-बेला।
सजना साजन संग, जीवन खुशियों का मेला।।

जीवन का संगीत, मधुर साज, ताल, सरगम।
मंगल बंधन प्रीत, हॄदयांगन नित प्रियतम।।


चंचल जैन
मुंबई

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