उड़ती पतंगा हैं बेटियाँ, माँ बाबा की दुलारी हैं बेटियाँ
कड़कती धूप में शीतलता की छांव हैं बेटियाँ,
फ़िजा हवाओं की तरह,असमां में उड़ती हुयीं परिन्दा हैं बेटियाँ,
उदासी की हर दर्द की इलाज़ होतीं हैं बेटियाँ ,
माँ -बाबा की चेहरे की मुस्कान हैं बेटियाँ,
माँ -बाबा की घर की आँगन की रौनक हैं बेटियाँ,
अंधकार में उजाले की तरह खिलखिलाहट होतीं हैं बेटियाँ,
अपने माँ की प्यार की वो खूबसूरत एहसास होतीं हैं बेटियाँ,
अपनी माँ की आँचल की छांव होतीं हैं बेटियाँ,
अपने पापा की परी होतीं हैं बेटियाँ,
अपने भाइयों की जान होतीं हैं बेटियाँ,
सरस्वती, दुर्गा, लक्ष्मी का रूप होतीं हैं बेटियाँ,
जीवन की हर बाग -बगीचों की गुलज़ार होतीं हैं बेटियाँ,
सर्दियों में सुहानी धूप होतीं हैं बेटियाँ,
माँ -बाबा की परछाई होतीं हैं बेटियाँ,
चाँद सितारों सी रौशन कर दे घर को, ऐसी जगमगाहट होतीं हैं बेटियाँ,
संगीत की तरह गुनगुनाहट,सी सरगम हैं बेटियाँ,
घर की चहल पहल होती हैं बेटियाँ,
जीवन में कमल खिला दे ऐसी होतीं हैं बेटियाँ,
आने वाली कल हैं बेटियाँ,
एक दिन छोड़कर माँ- बाबा की आँगन चली जायेगी,
उड़ती हुयीं पतंगा हैं बेटियाँ। ।।
मेरे अल्फाज ishika Gupta