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कन्या रूप में सदा,
पूजित है बेटियाँ।
मात पिता भाई इन सबकी,
सेवादार बेटियाँ।
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कर रही नव सृजन,
शिक्षिका और लेखिका
महान बेटियाँ।
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ससुराल में नव वधू,
वधू है बेटियाँ।
घर आँगन, उपवन की,
शोभा है बेटियाँ।
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धीरज और धर्म की,
प्रतीक बेटियाँ।
विपती काल में सदा,
पतवार बेटियाँ।
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कहीं माँ कही बहन,
कहीं पत्नी बने ये बेटियाँ।
कहीं साध्वी,कही रणचंडी
है बेटियाँ।
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जगत में सृष्टि का विस्तार,
बेटियाँ। फूल सी कोमल
पतिव्रता है बेटियाँ।
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त्याग, क्षमा प्रेम की,
मिसाल बेटियाँ।
धैर्य रख,कष्ट सह जाती है,
बेटियाँ
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सृष्टि की सुंदर रचना,
है बेटियाँ।
हर मान और सम्मान की
हकदार बेटियाँ।
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जुगल किशोर पुरोहित
कवि,गीतकार साहित्यकार
बीकानेर राजस्थान