वासर अष्ट शिवा भजते, धर मानस पाद-सरोज विधान।
आहत माँ तप लीन हुई, तब प्राप्त हुआ शिव का वरदान।
पावन ओज सु-कान्ति सजी, विभु स्पर्श करें तब हो सुख-स्नान।
ब्याह हुआ घर स्वामि गईं, जहँ जन्म विनायक स्कन्द महान।
आदि परा -बल अस्मित साहस, देकर मानव में रख ज्ञान।
ध्यान सु-यज्ञ क्षमा सिखला कर, कष्ट त्रि-ताप रखेँ अनजान।
आर्य कहें तब गंग घुसीं, हन दैत्य दुरंत बनीं प्रतिमान।
आर्त सुजान शरण्य रहें, तब अंब धरें युग मोक्ष अहान।
मीरा भारती, भारती।
पटना, बिहार