यादें

अंशुल ठाकुर

 

आज भी है। आती मुझे तुम्हारी याद।।
वो प्यारी सी बातें और वो हसीन रात।।

खामोश होकर बैठे रहे दोनों मगर।।
काबू में नहीं थे दोनों के जज्बात।।

ना जाने क्यो कहने से डरती रही वो।।
वो जो होंठों पर थी उसके कोई बात।।

मैं भी था बेचैन जानने को सब कुछ।।
जो दफन थे दिल में उसके कई राज।।

मैंने तो कह दिया था उससे पहले ही।।
कि देखो मुझको है। तुमसे बेहद प्यार।।

अब थी चाहत मेरी कि वो कह दे मुझे।।
देखो अंशुल तुम बन गए हो मेरी जान।।

अंशुल ठाकुर मैनपुरिया
मढ़ा मई उत्तर प्रदेश

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