हिन्दीशाला और स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के संयुक्त प्रयास से अभिव्यक्तिशास्त्र की पांच दिवसीय साहित्यिक कार्यशाला का आज चौथे दिन ‘ पत्रकारिता’ लेखन में सभी प्रतिभागियों ने भाग लिया। आज इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि देश के जाने माने साहित्यकार ,पत्रकार संस्कृतिकर्मी किशन कालजई ने अपनी उपस्थिति से कार्यशाला को नया रूप दिया ।कार्यशाला की अध्यक्षता डॉक्टर योगेंद्र कर रहे थे। किशन कालजई ने अपने वक्तव्य में अपने पत्रकार बनने के अनुभवों को साझा किया। साथ ही छात्रों को अपनी रुचि के क्षेत्रों में पत्रकारिता करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने पत्रकार बनने के लिए छात्रों में सत्यता , निष्पक्षता, भाषा के ज्ञान के साथ-साथ निर्भीकता का होना आवश्यक बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ योगेंद्र ने अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए भाषा पर पकड़ बनाने और अन्याय के विरोध में खड़े होने का सुझाव दिया । पत्रकारिता जो सत्य के साथ रहती है, वही जीवित पत्रिका है। पत्रकारिता की बेहतरीन दुनिया होती है। कोई भी काम नामुमकिन नहीं है। जब दशरथ मांझी पहाड़ को तोड़ कर रास्ता बना सकता है तो आप सभी छोटे-छोटे पहाड़ तोड़ ही सकते हैं। परेशानियों से मुकाबला कर ही सकते हैं और अपने आप को सशक्त बना सकते हैं।

कार्यशाला के प्रारंभ में सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत और विषय प्रवेश प्रणव ने किया ।इस कार्यक्रम का संचालन ऋचा प्रिया कर रही थी। उन्होंने अपने संचालन क्रम में कहा कि राष्ट्र की मर्यादा और समाज की परंपरा का ध्यान रखना आवश्यक है । समाचार के वक्तव्य ,टिप्पणी की प्रमाणिकता की जांच होनी चाहिए।शीर्षक रोचक होना चाहिए ।लिखते समय आम लोगों को ध्यान में रखकर लिखना चाहिए ।शुद्धता और स्पष्टता पर पकड़ होनी चाहिए। अपने विचारों को नहीं थोपना चाहिए। इस कार्यक्रम में प्रणव, रुपेश एकता आनंद ,राहुल ,निशा, अनीता ,नेहा ,प्रीति ,रितिका, सोनू, राजेश, रश्मि किरण ,अनुपम, ब्यूटी, लक्ष्मी, मनीषा, शिखा, निवेदिता ,आरती आदि उपस्थित थे।
प्रणव कुमार (स्नातकोत्तर हिंदी विभाग)