बिहार की सियासत में बयानबाजी का नया अध्याय जुड़ गया है, और इस बार इसे लिखने वाले हैं बिहपुर के भाजपा विधायक ई. शैलेंद्र। रविवार को खरीक के ध्रुवगंज मंडल टोला में ग्रामीणों के बीच बैठक करते हुए उन्होंने एक ऐसा बयान दे डाला, जिसने राजनीति के पन्नों से लेकर चाय की दुकानों तक चर्चा का विषय बना दिया। उनका बयान सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे राजनीति कम और धर्मशास्त्र की क्लास ज्यादा चल रही हो।
“राजद का ड्रेस कोड: टोपी, न तिलक, न चोटी!”
विधायक जी ने राजद को निशाने पर लेते हुए कहा, “राजद के लोग तिलक-चोटी से परहेज रखते हैं, लेकिन टोपी पहनने में बिल्कुल नहीं चूकते। उनकी पहचान ही टोपी बन गई है।” ऐसा लगता है कि विधायक साहब ने अपनी बातों में व्यंग्य और कटाक्ष का पूरा तड़का लगाने की कसम खा ली थी। उन्होंने राजद को ‘मुसलमानों की पार्टी’ का तमगा थमाते हुए कहा कि पार्टी में हर कोई मुस्लिम ही है।
“हमने सेवा की, लेकिन वोट का हिसाब नहीं मिला!”
शायद विधायक साहब का दर्द यहां छलक पड़ा जब उन्होंने कहा, “मुसलमानों की सेवा की, लेकिन उन्होंने हमें दस वोट भी नहीं दिए।” यह सुनकर गांव के कई लोग भी सोच में पड़ गए कि क्या सेवा की कीमत वोट से चुकाई जानी चाहिए?
“हिंदू एकजुट हों, वरना…”
विधायक जी ने अपने बयान में हिंदुओं को सीधे-सीधे संगठित होने की सलाह दे डाली। उन्होंने कहा, “हमें विपक्ष नहीं हराता, बल्कि हिंदू धर्म के प्रति भ्रामक विचारधारा रखने वाले लोग हराते हैं।” लगता है, विधायक जी को हर हार के पीछे एक ही कारण नजर आता है – हिंदुओं की ‘फूट’।
राजनीति का ‘धार्मिक ग्रंथ’
इस बयान ने राजनीति के गलियारों में तूफान खड़ा कर दिया है। राजद ने इसे समाज को बांटने वाला करार देते हुए कहा, “भाजपा नेताओं को हार के डर से अब धर्म का सहारा लेना पड़ रहा है।” जदयू ने तो इसे सीधा-सीधा ‘वोट के लिए धर्म का इस्तेमाल’ करार दिया।
अगर भाजपा विधायक के बयान को गहराई से देखें, तो ये बयान कम और ‘सियासी मंच पर धार्मिक प्रवचन’ ज्यादा लगता है। तिलक, चोटी और टोपी के इस सियासी खेल में असली मुद्दे – शिक्षा, रोजगार और विकास – कहीं गुम होते नजर आ रहे हैं।
विरोधियों का हमला
राजद ने तुरंत पलटवार करते हुए कहा, “अगर भाजपा विकास के नाम पर वोट मांगती, तो शायद इस तरह की बयानबाजी की जरूरत नहीं पड़ती।” एक नेता ने चुटकी लेते हुए कहा, “तिलक और चोटी लगाकर सड़क नहीं बनती, और टोपी पहनने से बिजली नहीं आती। विधायक जी को यह समझने की जरूरत है।”
पटना से लेकर दिल्ली तक हंगामा
ई. शैलेंद्र के इस बयान पर पटना से लेकर दिल्ली तक भाजपा में खलबली मच गई है। कुछ नेता इसे ‘निजी विचार’ कहकर किनारा कर रहे हैं, तो कुछ इसे ‘हिंदू एकता का आह्वान’ बता रहे हैं।
जनता का सवाल
ग्रामीणों के बीच यह बयान सुनने वालों ने धीरे-धीरे सवाल करना शुरू कर दिया है। एक बुजुर्ग ने कहा, “हमें धर्म की नहीं, सड़क और अस्पताल की जरूरत है। विधायक जी चुनाव के वक्त हिंदू-मुसलमान की बात छोड़कर विकास की बात करें, तो बेहतर होगा।”
विधायक शैलेंद्र का यह बयान भले ही उनकी राजनीति को नई धार देने का प्रयास हो, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस ‘सनातनी बयानबाजी’ से क्षेत्र का भला होगा या समाज और बंटेगा? यह तो वक्त ही बताएगा, पर फिलहाल बिहपुर की राजनीति एक नए मोड़ पर आ गई है।