नवगछिया- रंगरा थाना क्षेत्र के भवानीपुर स्थित काली मंदिर में काली पूजा के अवसर पर कुछ ऐसा हुआ, जिसने लोगों की आस्था को आहत किया है। काली पूजा के पावन अवसर पर देवी जागरण भजन कीर्तन के बैनर तले भोजपुरी रंगारंग कार्यक्रम विगत 7 वर्षों से कुछ उचक्कों द्वारा मंदिर व्यवस्थापक के पीठ पीछे यह कार्यक्रम आयोजित करवाया जा रहा है। कार्यक्रम में भक्तिभाव के माहौल में अश्लीलता व जिस्म की नुमाइशी परोसी गई।
वायरल वीडियो में पुलिस की मौजूदगी में ही भोजपुरी गानों पर बार-बालाओं ने अश्लील ठुमके लगाए। वहाँ पर उपस्थित श्रद्धालुओं की आस्था को नज़र अंदाज कर मनोरंजन का एक अलग ही दृश्य बनाया गया। नाम न छापने की शर्त पर बताया गया कि मंदिर व्यवस्थापक के पीठ पीछे कुछ उचक्कों द्वारा इस कार्यक्रम की आड़ में स्मैक व शराब को बढ़ावा मिलता है।
80% लोग शराब व स्मैक के नशे में थे मौजूद
सूत्रों ने बताया कि इस कार्यक्रम के आयोजक के संरक्षण में स्मैक व शराब की ब्रिकी कारोबारी लाखों रूपये बटोर लेते हैं। कार्यक्रम में आधा दर्जन पुलिसकर्मी भी मौजूद थे, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि लगता था कि पुलिसकर्मियों ने भी शराब सेवन किया हुआ था और कार्यक्रम में बार-बालाओं पर छूट भी बरसा रहे थे। आश्चर्य की बात है कि शायद वहां कानून-व्यवस्था की निगरानी के लिए पुलिसकर्मी आए थे, लेकिन वे आयोजन का भरपूर आनंद लेते नजर आए।
नवगछिया एस पी को दी गई थी सूचना लेकिन नहीं हुई कार्रवाई
उक्त कार्यक्रम की अश्लिलता को लेकर नवगछिया एस पी पूरन कुमार झा को भी सूचना दी गई थी। लेकिन उनके द्वारा कोई भी प्रतिक्रिया नहीं की गई। लेकिन बावजूद इसके कार्यक्रम लगातार सुबह 5 बजे तक चलते रहा। अब सवाल यह उठता है कि क्या इस तरह के आयोजनों का धार्मिक पर्वों पर कोई स्थान है ? या जब पुलिस प्रशासन ही नवगछिया में ऐसे आयोजनों का संरक्षण खुद कर रहे हैं तो आम आदमी खुद को सुरक्षित कैसे महसूस करे ? आखिर पुलिस कर्मी क्यों नहीं ऐसे कर्यक्रम पर विराम लगाते हैं ? यदि शनिवार की रात को ही पुलिस टीम छापामारी करते तो हजारों लोगों की गिरफ्तारी तय थी। लेकिन पुलिस की सुस्ती ने नशेड़ियों को संरक्षण दिया।
एक तरफ जहाँ लोग आस्था और भक्ति के साथ माँ काली की पूजा करने पहुंचे थे, वहीं दूसरी तरफ मंदिर में ही मंच पर अश्लीलता परोसी जा रही थी। आयोजकों ने क्या सोचा होगा और इसके पीछे उनकी मंशा क्या थी, यह सवाल अब भी उठ रहा है। बुद्धिजीवी वर्ग ऐसे आयोजनों से खुद में भयभीत हैं।
यह घटना एक बार फिर इस ओर इशारा करती है कि हमारी संस्कृति और धार्मिक आयोजनों को किस हद तक नुकसान पहुँचाया जा रहा है। जागरण जैसे आयोजनों का उद्देश्य लोगों को भक्ति भाव से जोड़ना होता है, लेकिन जब इस तरह के कार्यक्रमों में अपसंस्कृति परोसी जाती है, तो यह समाज पर क्या असर डालता है, इस पर विचार करने की ज़रूरत है।
हलांकि नई बात इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। फिर भी यह जांच का विषय है। इस मामले में हमारी गुजारिश है कि संबंधित अधिकारी मामले की पूरी जांच करें और भविष्य में इस तरह की घटनाएं ना हों, इसके लिए सख्त कदम उठाए जाएं।