कात्यायन ऋषि लाडली
मात कात्यायनी सदा, सुनती यहाँ पुकार। प्रेम से सभी पूजते, करते रहे सत्कार।। धूप दीप कर आरती, रखते हैं आधार।…
मात कात्यायनी सदा, सुनती यहाँ पुकार। प्रेम से सभी पूजते, करते रहे सत्कार।। धूप दीप कर आरती, रखते हैं आधार।…
सम्मानित मंच नमन। चित्राभिव्यक्ति। विधा- मनहरण घनाक्षरी। पूजन कलश धरे, सुंदर श्रीफल सजे, चहूँ ओर दीप जले मंगल मनाइए। दीप-दीप्ति…
खुद को दीप्तिमान कर शांति से सहन कर,अहं का दमन कर, बेकार तकरार में,वक्त न गवाइए। आलस्य को तज कर,खड़ा…
विषय — मुझे हवाओं में बिखरने दो मुझे हवाओं में बिखरने दो अपनी करामत की खुशबू इन फिजाओं में फैलाने…
छठवें दिन कात्यायनी देती रोग-शोक मुक्ति पाते। षष्ठी मां कात्यायनी की पूजा को है समर्पित करते। छठा स्वरूप करुणामयी, भक्तों…
(दुर्मिल सवैया-8×सगण-112) (कमनीया-नायिका) कजरा अँखियाँ मुँहना ललिया पलकाँ फहरायि रही मुनियाँ । नकिया नथिया मथवा टिकवा चँदना ललचायि रही रनियाँ…
माँ स्कंद माता स्कंदमाता का आज पंचम रूप माता की करते सभी हैं। वंदना देती सुख अपार ममता दे सबको…