15 हजार से अमेरिका तक – ‘मखाना वाला’ बना मिथिला का ब्रांड एम्बेसडर

IMG 20250627 WA0027

100 से अधिक परिवारों को मिला रोजगार, लोकल मखाना बना ग्लोबल ब्रांड

दरभंगा का देसी स्वाद अब विदेशी पैकेट में
दरभंगा के श्रवन कुमार रॉय ने सिर्फ मखाना नहीं बेचा—बल्कि मिथिला की पहचान को दुनिया के प्लेट में परोसा। मात्र ₹15,000 से शुरू हुआ “एमबीए मखानावाला” आज न सिर्फ पैन इंडिया ब्रांड बन चुका है, बल्कि अमेजन से अमेरिका तक अपने स्वाद का परचम लहरा रहा है।

img 20250627 wa00283381910541344185505

आईआईटी से नहीं, जमीन से निकली सफलता की कहानी
तीन बार IIT में असफल रहे श्रवन ने हार को जीत में बदला। 8 लाख के कॉर्पोरेट पैकेज को ठोकर मारकर गांव की मिट्टी से जुड़े, और मखाना को ग्लोबल मार्केट का हिस्सा बना डाला। शुरुआत बल्क मखाना बेचने से हुई, लेकिन जल्द ही पैकेजिंग, ब्रांडिंग और इनोवेशन से इसे सुपरफूड बना दिया।

मिथिला के तालाबों से अमेरिका की टेबल तक
दरभंगा, मधुबनी और सहरसा के खेत-तालाबों से निकला मखाना अब सिर्फ व्रत का खाना नहीं, हेल्दी स्नैकिंग का स्टाइल बन चुका है। डोसा, कुकीज, खीर और ढोकला तक में मखाना ने अपनी जगह बना ली है।

G-20 में पेश हुआ मखाने का जायका
श्रवन के इनोवेशन को अंतरराष्ट्रीय मंच भी सलाम कर रहा है। G-20 सम्मेलन में मखाना से बने व्यंजन पेश हुए और दरभंगा एयरपोर्ट पर मखाना एक्सपीरियंस सेंटर की शुरुआत हुई।

रेस्टोरेंट मॉडल: स्वाद का नया अध्याय
देश के अलग-अलग राज्यों की थालियों में अब मखाने का ट्विस्ट दिखने लगा है। तमिल डोसे में मखाना फ्लेवर और गुजराती ढोकले में मखाना का तड़का—एक देसी स्वाद को मिला ग्लोबल अंदाज़।

100 से अधिक परिवारों को मिला सहारा
“मखानावाला” सिर्फ एक स्टार्टअप नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन बन चुका है। 100 से अधिक परिवारों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है, साथ ही मिथिला के पारंपरिक कृषि उत्पाद को नई पहचान भी।

संघर्ष से सीढ़ी तक
नौकरी छोड़ना, परिवार का विरोध, बैंक लोन का संकट और कोविड जैसी मुश्किलें भी श्रवन के हौसले को नहीं तोड़ सकीं। आज उनके खाते में MSME ऑनर अवार्ड 2021 और जिला आंत्रप्रेन्योर अवार्ड 2022 जैसे कई सम्मान हैं।

GI टैग का गौरव और ग्लोबल मिशन
भारत सरकार से GI टैग पाने वाले पहले मखाना उपभोक्ता के रूप में “मखानावाला” का नाम दर्ज है। श्रवन का लक्ष्य है—”मखाना को गिल्ट-फ्री हेल्दी सुपर स्नैक के रूप में पूरी दुनिया में पहचान दिलाना।”

“सोच देसी, उड़ान इंटरनेशनल”
श्रवन कुमार का सफर साबित करता है कि सोच में दम हो तो गांव की गलियों से भी दुनिया बदली जा सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *