भारत माता अभिनन्दन सम्मान 2021″ से सम्मानित हुई देश की अनेक विभूतियाँ ।। Inquilabindia

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शाजापुर। भारत माता अभिनन्दन संगठन इकाई शाजापुर द्वारा बुधवार को गूगल मीट पर “भारत माता अभिनन्दन सम्मान समारोह 2021” तथा शिकागो धर्म सम्मेलन (11 सितंबर), बाल बलिदान दिवस (26 दिसम्बर) पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।

समारोह में देश के विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों जैसे साहित्य, कला, काव्य, शिक्षण, पर्यावरण, संगीत, चिकित्सा, जल संरक्षण, भारतीय संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन, करोना योद्दा, सैनिक सेवा, रक्तदान, अंगदान, गौ – सेवा इत्यादि जैसे अनुकरणीय कार्य करने वाले समाज सेवकों / संस्थाओं को संगठन द्वारा “भारत माता अभिनन्दन सम्मान 2021” से सम्मानित किया गया। जिसमें 150 साहित्यकार, समाजसेवियों तथा 150 चिकित्सा, शिक्षण क्षेत्र की विभूतियाँ सम्मानित हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ कुमारी गुड़िया गौतम ने सरस्वती वंदना के साथ किया। इसके बाद स्वागत गीत गाकर कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत की।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि संस्थापक अध्यक्ष आदरणीय पी. डी. मित्तल जी ने कहा कि संगठन अनुकरणीय कार्य करने वाले समाज सेवकों / संस्थाओं के सम्मान के लिए हमेशा तत्पर रहता है। 11 सितंबर 1893 को भारत की सभ्यता, संस्कृति एवं स्वामी विवेकानंद जी के कारण भारत देश का, भारत माता का विश्वव्यापी अभिनन्दन हुआ था। जिसे ‘भारत माता अभिनंदन दिवस’ के रूप में राष्ट्रीय मान्यता हेतु मनाया जाता है। तथा राष्ट्रीय समर्पण का प्रतीक ‘बाल बलिदान दिवस’ 26 दिसंबर, गुरू गोविंद सिंह जी के बच्चों को सरहद किले की दीवार में जिंदा चिनवाए जाने की स्मृति में भारत माता अभिनंदन संगठन के आव्हान पर दुनिया की सबसे बड़ी बाल शहादत को पूरे देश में हर वर्ष 2020 से ही 26 दिसंबर को बाल बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

कार्यक्रम को वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार डॉ. विनोद वर्मा जी ने भी संबोधित करते हुए कहा की बाल बलिदान दिवस जो कि गुरू गोविंद सिंह जी के बच्चों की शहादत की स्मृति में मनाया जाता हैं। जब इन बालको को सरहिन्द के किले में जिन्दा चुनवाया जा रहा था तब उन्होंने नवाब को कहा था की “नवाब ! हम उन गुरूतेगबहादुरजी के पोते हैं जो धर्म की रक्षा के लिए कुर्बान हो गये। हम उन गुरूगोविंदसिंह जी के पुत्र हैं जिनका नारा है : चिड़ियों से मैं बाज लड़ाऊँ, सवा लाख से एक लड़ाऊँ। जिनका एक-एक सिपाही तेरे सवा लाख गुलामों को धूल चटा देता है, जिनका नाम सुनते ही तेरी सल्तनत थर-थर काँपने लगती है। तू हमें मृत्यु का भय दिखाता है। हम फिर से कहते हैं कि हमारा धर्म हमें प्राणों से भी प्यारा है। हम प्राण त्याग सकते हैं परन्तु अपना धर्म नहीं त्याग सकते।

समारोह को संबोधित करते हुए संगठन के राष्ट्रीय प्रभारी ऋतु गर्ग जी ने कहा कि संगठन हमेशा देश सेवा के लिए तत्पर रहता है। संगठन सम्मान समारोह के माध्यम से समाज में अनुकरणीय कार्य करने वाले समाज सेवकों / संस्थाओं के मनोबल को बढ़ाने का काम किया रहा हैं।

भारत माता अभिनन्दन संगठन के जिलाध्यक्ष कविश्री जितेन्द्र देवतवाल ‘ज्वलंत’ ने कहा कि भारत माता अभिनन्दन संगठन द्वारा आयोजित सम्मान समारोह से हमेशा अच्छे कार्यों में संलग्न रहकर देश के प्रति पूर्ण तरह समर्पित महामानवों के मनोबल में वृद्धि होगी। सम्मानित होने से उन्हें और भी बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने दोनों दिवस की महत्ता पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘जो कह रहा था मुझे चाहिए विवेक, आनन्द और उत्थानयुक्त राष्ट्र वही था विवेकानन्द।’ उन्होंने आगे कहा कि विश्वधर्म का सम्मेलन लगता था जायेगा खाली, लेकिन संबोधन सुनते ही गूंज उठी तड़तड़ ताली। बालबलिदान दिवस पर उन्होंने कवि मैथिलीशरण गुप्त की कविता सुनाते हुए कहा कि –
जिस कुल जाति देश के बच्चे भी दे सकते हैं बलिदान।
उसका वर्तमान कुछ भी हो पर भविष्य हैं सदा महान।।

कार्यक्रम को राष्ट्रीय श्रेया क्लब की संचालिका तथा भारत माता संगठन कर्नाटक प्रभारी डॉ. अर्चना श्रेया जी ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह समारोह वरिष्ठ रचनाकार, समाजसेवी, युवाकवि जितेन्द्र देवतवाल ‘ज्वलंत’ की अध्यक्षता में संपन्न हो रहा है। अपने गौरवशाली इतिहास को यादगार बनाने भारत माता अभिनन्दन संगठन कार्य कर रहा है। ’11 सितंबर – शिकागो धर्म सम्मेलन तथा 26 दिसंबर – बाल बलिदान दिवस’ को विश्वव्यापी तौर पर स्थापित करने हेतु भी सार्थक प्रयास किया जा रहा है। अब वह दिन दूर नहीं जब हम 11 सितंबर को भारत माता अभिनंदन दिवस घोषित करा धूमधाम से मनाएंगे। तथा 26 दिसंबर बाल बलिदान दिवस जोर शोर से मनाएगे, जिसकी तैयारियाँ की जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि स्वर्णिम इतिहास जब रचेगा आप सभी लोग इसके साक्षी होंगे।

कार्यक्रम को विशिष्ट अतिथि श्री नारायण दिक्षित जी, विशिष्ट अतिथि डॉ. परिक्षित जी, विशिष्ट अतिथि कृति सागर जी, विशिष्ट अतिथि श्री अनूप कुुमार जी,श्री सुधीर श्रीवास्तव जी ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर विषय ’11 सितंबर – शिकागो👍 धर्म सम्मेलन तथा 26 दिसंबर – बाल बलिदान दिवस’ पर आयोजित परिचर्चा में श्री चन्द्रसिंह पटेल जी, श्री आरती जिन्दल जी, श्री अरुण प्रताप सिंह भदौरिया ‘राज’, शाहजहाँपुर, उत्तरप्रदेश, श्री गरिमा वार्ष्णेय जी, श्री नंदिता माजी शर्मा जी, श्री मुकेश “कबीर” जी, श्री विशाल श्रीवास्तव फर्रुखाबाद उत्तरप्रदेश, श्री सुषमा वीरेंद्र खरे जी, डॉ उमेश चंद्र मिश्रा जी, डॉ. आदित्य चतुर्वेदी जी, श्री विकास शर्मा शिवाया जी, श्री राजीव जिया कुमार जी, बिहार, श्री राजेश्वरी बसवराज जी मेदार कर्नाटक, डॉ. सुची जी, श्रीमती नीतू सिंह जी, श्री शीतल शैलेन्द्र “देवयानी” इन्दौर, कवि राम सिंह राजसमन्द, राजस्थान, डॉ. मीना बरसे जी, श्रीमती लोकेश्वरी कश्यप, जिला मुंगेली छत्तीसगढ़, श्री विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपर, डाँ मोहन लाल अरोड़ा ऐलनाबाद सिरसा हरियाणा, श्री हीरा सिंह कौशल हिमाचल प्रदेश, प्रीती शर्मा ‘असीम ‘ नालागढ़ हिमाचल प्रदेश, डॉ. सलिल कुमार पाण्डेय जी, गोरखपुर, अमित कुमार ‘विश्वास’ वैशाली, बिहार, पंकज कुमार शर्मा ‘प्रखर’, कोटा, ईश्वर चंद्र जायसवाल,गोंडा (उत्तर प्रदेश) ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन कवि तुलसी विश्वास ने एवं आभार प्रकटीकरण कवि जितेन्द्र देवतवाल ‘ज्वलंत’ ने किया।(सुधीर श्रीवास्तव)

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