पैक्स घोटाले का पर्दाफाश! 15 वर्षों से अध्यक्ष की मनमानी, अनाज से लेकर खजाने तक खेल जारी

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भागलपुर प्रमंडल के आयुक्त को भेजे गए एक शिकायत पत्र से बड़ा खुलासा हुआ है। बभनगामा पैक्स (सहकारी समिति), जो कि बिहपुर प्रखंड के अधीन है, वहां पिछले 15 वर्षों से निर्विरोध अध्यक्ष पद पर बैठे मो० इमदाद खां पर गंभीर वित्तीय अनियमितता, घोटाले और समिति के संसाधनों के गबन का आरोप लगा है।

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ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोप बेहद चौंकाने वाले हैं—

🔸 15 साल की सत्ता, पर एक भी सार्वजनिक बैठक नहीं!
पैक्स अध्यक्ष इमदाद खां पर आरोप है कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ताक पर रखकर समिति को एकछत्र शासन के रूप में चला रहे हैं। वर्षों से समिति की कोई बैठक नहीं बुलाई गई, और कार्यशैली पूरी तरह से तानाशाही रही है।

🔸 खाता नहीं, कैश पर नियंत्रण!
पिछले दस वर्षों से समिति की रकम एसबीआई जैसे सरकारी बैंक खाते में नहीं रखी गई, बल्कि अध्यक्ष स्वयं अपने पास धनराशि रखते रहे। इससे समिति को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। वहीं, दस वर्षों से समिति का कोई अंकेक्षण भी नहीं कराया गया।

🔸 खाद योजना का पैसा हजम!
वर्ष 2014-15 में NCDC (नेशनल कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) द्वारा खाद और उर्वरक हेतु 2 लाख रुपये भेजे गए थे। ग्रामीणों का कहना है कि वह रकम आज भी अध्यक्ष के पास है, जबकि समिति को एक बोरा भी खाद नहीं मिला। साथ ही, मार्जिन मनी की एक भी किश्त जमा नहीं की गई।

🔸 मंदिर की जमीन पर गोदाम और दूसरा गोदाम कर्ज में डूबा!
समिति ने वर्ष 1995 में रामजानकी मंदिर की जमीन पर गोदाम बनाया, जिसका कर्ज आज तक अदा नहीं हुआ है। साथ ही, 14 लाख की लागत से एक और गोदाम लीज पर लिया गया, जिससे समिति को अतिरिक्त कर्ज में झोंक दिया गया है। समिति अब काली सूची (Black List) की कगार पर पहुंच चुकी है।

🔸 गरीबों का राशन लूटा जा रहा है?
आरोप है कि अनाज वितरण के दौरान प्रति यूनिट आधा किलो अनाज जबरन काट लिया जाता है। विरोध करने पर अध्यक्ष कहते हैं— “मैंने तुम्हें सदस्य बनाने के लिए पैसे दिए हैं।”

🔸 सरकारी संसाधनों से निजी कमाई!
सरकार द्वारा गरीबों के उत्थान के लिए जो ट्रैक्टर-ट्रेलर दिए गए थे, उनका उपयोग निजी खेतों में जोताई और ढुलाई के लिए किया जा रहा है। उसकी आमदनी भी अध्यक्ष खुद रख रहे हैं।

🔸 50 क्विंटल गेहूं का हिसाब नहीं!
थ्रेशर से निकाले गए 50 क्विंटल गेहूं को अध्यक्ष द्वारा समिति में जमा नहीं किया गया, बल्कि खुद के पास रख लिया गया।


सचेतक ई० कुमार शैलेन्द्र ने मामले को संज्ञान में लेते हुए आयुक्त से इसकी उच्च स्तरीय जांच और दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

अगर ये आरोप सही साबित होते हैं, तो यह मामला सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि गांव की सहकारी व्यवस्था को दीमक की तरह चाट जाने का है। जनता की निगाहें अब प्रशासन की ओर हैं—क्या दोषियों पर शिकंजा कसेगा या फाइलें फिर से धूल फांकती रहेंगी?


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