बिजली विभाग की मनमानी से उपभोक्ताओं में आक्रोश ।

न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहे उपभोक्ता

बिहपुर : बिजली विभाग के द्वारा अपनाये जा रहे मनमाने रवैये से आम उपभोक्ताओं में दिन-ब-दिन आक्रोश बढता जा रहा है । बढते आक्रोश के कारण कुछ उपभोक्ताओं के द्वारा अब न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया जाने लगा है जबकी कुछ उपभोक्ताओं के द्वारा आन्देलन की भी तैयारी की जाने लगी है । मामला बिजली विभाग के बड़े पदाधिकारियो द्वारा उपभोक्ता से करोड़ो की ठगी का है पर विभागीय सहायता के बजाय उपभोक्ताओं से हीं
दुबारा पैसा वसूलने को लेकर बिल भेजा रहा है ।

क्या है मामला

अनुमंडल के तीन प्रखंड बिहपुर ,नारायणपुर एवं खरीक के बिजली की समस्याओं के निदान के लिए बिहपुर प्रखंड के सोनवर्षा गाँव में कार्यालय की स्थापना की गई । इस कार्यालय में कार्यरत विभाग के तत्कालिक एसडीओ अभिषेक पासवान के द्वारा सन 2001 एवं 2002 में इन तीनों प्रखंडों के वैसे लगभग 2700 उपभोक्ता जिनके पास बिजली बिल अधिक बकाया था उनसे बिजली बिल को निजी अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए एक सुनिश्चित राशि लगभग पचास प्रतिशत कैस जमा करने एवं दस प्रतिशत पुन: अगले माह जमा करने पर पूर्ण राशि माफ करने की बात कही गई।

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उपभोक्ताओं के द्वारा विभाग कर्मी के माध्यम से या फिर सोनवर्षा कार्यालय में आकर पचास प्रतिशत की राशि जमा भी कर दी गई जिसके बाद अगले माह पुन: दस प्रतिशत बिल का भुगतान करने पर उनका बिल शून्य कर दिया गया । इस प्रकार से उपभोक्ताओं के द्वारा कुल 60 प्रतिशत जमा किया गया । एसडीओ अभिषेक कुमार के द्वारा इन उपभोक्ताओं के द्वारा जमा किये गए राशि का बेहद कम राशि जमा कर उनका बिल शून्य किया गया जिससे विभाग को काफी घाटा हुआ और विभाग के द्वारा कार्रवाई की भी गई एवं उनका तबादला कर दिया गया ।पर विभाग एवं एसडीओ के बीच उपभोक्ताओं का पैसा फंस गया ।

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वर्तमान एसडीओ के द्वारा अब पूर्व के बिल उपभोक्ताओं को भेजा जा रहा । जबकी इन उपभोक्ताओं का कहना है की जब विभाग को बिल जमा किया गया और बिल शून्य कर दिया गया था तो पुन: बिल क्यों जमा करे ? विभाग के पदाधिकारी उपभोक्ताओं का करोड़ों रुपये गटक गए । और इस बीच वैसे उपभोक्ता जिन्होंने पूर्ण राशि जमा कर अपना बिल जमा किया उनके साथ भी वही किया गया और उन्हेें भी विभाग के द्वारा पुराना बिल भेजा जा रहा है । इस पूरे घटनाक्रम में किसी भी उपभोक्ता को पैसे की रशिद यह कह कर नही दी गई की जब सबकुछ ऑनलाईन है तो रशिद का क्या काम ? और अहम यह भी है की ऑनलाईन के समय में उपभोक्ता अपना पुराना रशिद कितने दिनों तक सुरक्षित रखें । इसको लेकर कई उपभोक्ता न्यायालय जा चुके हैं और कुछ तैयारी कर रहे हैं ।

क्या कहते हैं पदाधिकारी

इसके बावत जब बिहपुर कनिय अभियंता से जब बात की गई तो उन्होंने फोन कहा की मोबाईल पर समझाया नही जा सकता है और सवाल पर जोड़ देने पर यह कह कर बचते दिखे की मै तो छोटा पदाधिकारी हूँ बड़े पदाधिकारी से बात की जाए । पुन: जब एसडीओ से बात की गई तो उन्होंने कहा की मामला अखबारों में पहले हीं आ चुका है इसमें बताने जैसा कुछ नही है । जब जोड़ देकर ये पूछा गया की उपभोक्ताओं के पैसों का क्या होगा तो उन्होंने उल्टा आरोप उपभोक्ताओं के उपर लगाते हुए कहा की गलती उपभोक्ताओं की है । उपभोक्ताओं ने गलत तरीके से पैसा जमा किया है जिसके कारण हर हाल में उपभोक्ताओं से हीं वसूली की जाएगी ।

सवाल

विभाग के पदाधिकारी हमेशा बदलते रहते हैं तो ऐसे में क्या हर पदाधिकारी नए नियम लाते रहेंगे और उपभोक्ता ठगे जाते रहेंगे ? क्या ये पदाधिकारी जो विभाग में काम करते हैं उनका काम केवल विभाग को फायदा पहूँचाना है । क्या उनका दायित्व उपभोक्ता की समस्या का समाधान करना नही है ? गांव के उनपढ एवं गरीब उपभोक्ता विभाग के नियमों को कितना प्रतिशत समझ पाते हैं ? ऐसे में पदाधिकारीयों की मनमानी और प्रतिनिधियों की चुप्पी आम उपभोक्ताओं को आक्रोशित करने का काम कर रही है । उपभोक्ताओं का साफ कहना है की अब किसी भी हालत में बिल जमा नही किया जाएगा ।

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