बिहार के प्रसिद्ध तांत्रिक शक्तिपीठ हरबंशपुर तेलडीहा दुर्गा मंदिर ।। Inquilabindia

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बिहार के प्रसिद्ध तांत्रिक शक्तिपीठ हरबंशपुर तेलडीहा दुर्गा मंदिर ……

शशांक कुमार सुमित/तारापुर/मुंगेर

आराध्य देवी मां कृष्ण काली भगवती हरवंशपुर, मां तिलडीहा शक्तिपीठ के रूप में विख्यात है। मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की मुराद पूरी करती है मां दुर्गा।
बिहार के मुंगेर जिला की तारापुर सीमा से नजदीक एवं बांका जिला के शंभूगंज प्रखंड अंतर्गत हरवंशपुर गांव में अवस्थित मां दुर्गा का मंदिर लोगों के आस्था का केन्द्र है। अनुमानित वर्ष 1603 में तांत्रिक हरबल्लभ दास के द्वारा स्थापित माता का मंदिर आज बिहार ही नहीं विभिन्न प्रांतों के लोगों के आस्था के केन्द्र के लिए जाना जाता है। खासकर शारदीय नवरात्र और वसंत नवरात्र के मौके पर माता के दरबार में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। शारदीय नवरात में तो अष्टमी और नवमी तिथि को यहां भव्य पूजा का आयोजन किया जाता है जिसमें लाखों श्रद्धालुओं जुटते हैं। मां के दरबार में आज भी बलि प्रथा का प्रचलन है।

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बता दें कि,

बंगाल” नदिया शांतिपुर” निवासी हरबल्लभ दास दो भाई थे। दोनों भाई भगवती के उपासक थे। किसी विवाद के कारण हरबल्लभ दास अपने घर से भाग कर हरवंशपुर गांव स्थित श्मशान पहुंच गए। बडुआ नदी के किनारे तांत्रिक विधि विधान से उन्होंने माता को स्थापित किया। इसके बाद यहां तांत्रिक पूजा शुरू हुई जो आजतक चल रही है।

मंदिर के अंदर आज भी कच्ची पिंडी विराजमान है।

मां तिलडीहा का पूजा अर्चना का दायित्व आज इस मंदिर के संस्थापक हरबल्लभ दास के वंशज हैं। इन्हें यहां के मेढ़पति के रूप में जाना जाता है।

मंदिर देखरेख व विधिपूर्वक पूजा-पाठ एवं अन्य संबंधित प्रबंधन कार्य शैली मेढ़पति परिवार एवं ग्रामीण के निगरानी में संपन्न होता है।
इस मंदिर के वर्तमान पुरोहित श्री श्याम आचार्य जी एवं जयकांत आचार्य जी हैं।
बता दें कि
आज भी मंदिर में सारा पूजा पाठ बंग्ला नियम निष्ठा के साथ किया जाता है।
मां कि महिमा इतनी अपरम्पार है कि प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है दरबार में।
खासकर बिहार -झारखंड-बंगाल- इन तीन राज्यों से दर्शनार्थियों का तांता लगातार बढ़ता ही चला जा रहा है।

समय के साथ साथ हरवंशपुर दुर्गा मंदिर प्रबंधन समिति व श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर का विकास होता चला गया। मंदिर को पूरी तरह पक्की और आकर्षक बनाया गया लेकिन आज भी मंदिर के अंदर की जमीन और माता का पिंडी कच्ची मिट्टी का ही है। यहां के लोगों का कहना है कि माता का यह आदेश है कि पिंडी कच्ची ही रहेगी।

बांका व मुंगेर जिला के सीमा पर अवस्थित है हरवंशपुर (तिलडीहा) दुर्गा मंदिर।
बांका व मुंगेर जिला के सीमा पर बडुआ नदी के किनारे हरवंशपुर गांव अवस्थित है।
इस विख्यात मंदिर के नजदीकी रेलमार्ग : सुल्तानगंज , जमालपुर, जसीडीह।

सड़क मार्ग: सुल्तानगंज देवघर मुख्य मार्ग होते हुए तारापुर से महज एक किलोमीटर ।

इस बार दुर्गा पूजा के लिए देवतुल्य श्रद्धालुओं के लिए जिला प्रशासन बांका के बैठक में कुछ महत्वपूर्ण निर्देश…

देवतुल्य श्रद्धालुओं के लिए … आवश्यक सूचना।

  1. पहली पूजा को जलार्पण पर पूर्णतः रोक रहेगी
  2. ‘फिलहाल ‘दुर्गा पूजा में पाठाबलि नहींं होगी, दुर्गा पूजा के बाद संभवतः
  3. मुंडन ‘नवमी’ को होगा,
  4. अष्टमी-नवमीं- दशमी का पूजा-पाठ पूर्व की भांति होगी

निर्देशानुसार: जिला प्रशासन बांका

आज के बैठक में मुख्य रूप से एस डी ओ बांका, डी एस पी बांका, डी सी एल आर , बीडीओ शंभुगंज, एस एच ओ शंभुगंज,सी ओ शंभुगंज, पूर्व मुखिया मनोज मिश्र, मंदिर प्रबंधन समिति के अनिरुद्ध दास,शंभु दास,श्याम दास, शंकर दास,कन्हाई दास,ललन दास,पप्पू घोष,सोनू,विश्वजीत,पारितोष, शशांक,भूवन ,अजिताभ,जयकांत आचार्य,आदि लोग मौजूद रहे।

हरवंशपुर,(तिलडीहा) मंदिर प्रबंधन समिति

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