अब हिंद के जवान जाग रे

डॉ. राम कुमार झा

तुझे पुकारती मातु भारती,
अब हिंद के जवान जाग रे।
ध्वजा तिरंगा बनो सारथी,
गाओ राष्ट्र गीत शुभ राग रे।

अरिमर्दन कर पाक चीन की,
करो भारत माँ अनुराग रे।
करो नमन उन हर बलिदानी,
जो सीमान्त खड़े सहभाग रे।

शीताकुल ग्रीष्मातप भींगी,
निशिदिन काया बरसात रे।
तजा मोह परिवार कुटुम्बी,
खातिर राष्ट्र सकल जज़्बात रे।

आन बान सम्मान भारती,
तन मन अर्पण वीर जवान रे।
अरुणाचल से द्रास गलेशियर,
कर नाथुला विजय लद्दाख रे।

सुखद चैन मुस्कान प्रजा की,
नित बन ढाल कवच जवान रे।
महावीर वह विश्व शक्ति अब,
जय हिन्द वतन अभिमान रे।

चहुँ दिशा प्रगति नित सोच नयी,
स्वाभिमान देश गुलज़ार रे।
रणयोद्धा सैनिक महारथी,
विजय पार्थ सार्थ उपहार रे।

अमरगीत गाथा बलिदानी,
लिखी विजय राष्ट्र प्रतिमान रे।
शत्रु दलन कर खेल खेल में,
बेपरवाह ज़ान जवान रे।

जयमाला रण विजय भारती,
मुण्डमाल शहीदी शान रे।
अरुणाभ कीर्ति अनमोल भक्ति,
भानु चन्द्र ज्योति सुखसार रे।

जन गण मन अधिनायक गाती,
चहुँदिक् सीमा नित सेना रे।
हर जवान का जन मन भारत,
है कृतज्ञ विनत निशि रैना रे।

उन्मुक्त उड़ानें भरता नभ,
संविधान तिरंगा मान रे।
लोकतंत्र जीवन रक्षक बन,
रहे हर जवान भगवान रे।

इतिहास स्वर्ण इस आजादी,
चारुतम त्याग शौर्य जवान रे।
अमृत वर्ष स्वाधीन भारती,
मनाऍं विजयोत्सव महान रे।

हर जवान सीमांत भारती,
हम करें आरती विधान रे।
हो समता मूलक नर नारी,
सद्ज्ञान प्रगति पद मान रे।

हम निर्भय संबल नित विजयी,
शस्य पूर्ण खेत खलिहान रे।
हर प्रकृति आपदा तूफ़ानी,
संकटमोचक नित जवान रे।

धन्य धन्य पा पूत भारती,
भारत कर्णधार जवान रे।
रखी लाज माँ कोख दूध की,
उन सपूत नमन यशगान रे।

कवि✍ डॉ. राम कुमार झा “निकुंज”
रचना: मौलिक (स्वरचित)
नयी दिल्ली

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